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Bajrang Baan : राम सहाय सदा प्रतिपालक

मनोकामनाओं की पूर्ति और भय से मुक्ति पाने के लिए हनुमान चालीसा के साथ बजरंग बाण का पाठ किया जाए, तो यह लाभकारी होता है। हर मंगलवार या शनिवार को बजरंग बाण का पाठ करना चाहिए। बजरंग बाण का पाठ करने से ग्रह दोष समाप्त हो जाते हैं। बजरंग बाण का पाठ करने से जीवन में व्याप्त दुख और संकट दूर हो जाते हैं Bajrang Baan :

Bajrang Baan : बजरंग बाण

हनुमान जल्द प्रसन्न करने वाले देवता हैं. हनुमान जी की उपासना करने पर भक्त के सभी दुख, परेशानियां, भय और बीमारियां फौरन ही दूर हो जाते हैं. हर तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए और भय से मुक्ति पाने के लिए नियमित रूप से अगर हनुमान चालीसा पाठ के साथ बजरंग बाण का पाठ किया जाय तो यह बहुत लाभकारी होता है Bajrang Baan :

Bajrang Baan :

बजरंग बाण में पूरी श्रद्धा रखने और निष्ठापूर्वक उसके बार बार दोहराने से हमारे मन में हनुमान जी की शक्तियां जमने लगती हैं। शक्ति के विचारों में रमण करने से शरीर में वही शक्तियां बढ़ती हैं। शुभ विचारों को मन में जमाने से मनुष्य की भलाई की शक्तियों में बढोत्तरी होने लगती है।

Bajrang Baan : बजरंग बाण

निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान।तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥

 जय हनुमंत संत हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥

जन के काज बिलंब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै॥

जैसे कूदि सिंधु महिपारा। सुरसा बदन पैठि बिस्तारा॥आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुरलोका॥

Bajrang Baan :

जाय बिभीषन को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा॥बाग उजारि सिंधु महँ बोरा।

अति आतुर जमकातर तोरा॥अक्षय कुमार मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जारा॥लाह समान लंक जरि गई।

जय जय धुनि सुरपुर नभ भई॥अब बिलंब केहि कारन स्वामी। कृपा करहु उर अंतरयामी॥

जय जय लखन प्रान के दाता। आतुर ह्वै दुख करहु निपाता॥जै हनुमान जयति बल-सागर।

Bajrang Baan :

सुर-समूह-समरथ भट-नागर॥ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले। बैरिहि मारु बज्र की कीले॥

ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा। ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर सीसा॥जय अंजनि कुमार बलवंता।

शंकरसुवन बीर हनुमंता॥बदन कराल काल-कुल-घालक। राम सहाय सदा प्रतिपालक॥

भूत, प्रेत, पिसाच निसाचर। अगिन बेताल काल मारी मर॥इन्हें मारु, तोहि सपथ राम की।

Bajrang Baan :

Bajrang Baan :

राखु नाथ मरजाद नाम की॥सत्य होहु हरि सपथ पाइ कै। राम दूत धरु मारु धाइ कै॥

जय जय जय हनुमंत अगाधा। दुख पावत जन केहि अपराधा॥पूजा जप तप नेम अचारा।

नहिं जानत कछु दास तुम्हारा॥बन उपबन मग गिरि गृह माहीं। तुम्हरे बल हौं डरपत नाहीं॥

नकसुता हरि दास कहावौ। ताकी सपथ बिलंब न लावौ॥जै जै जै धुनि होत अकासा।

सुमिरत होय दुसह दुख नासा॥चरन पकरि, कर जोरि मनावौं। यहि औसर अब केहि गोहरावौं॥

उठु, उठु, चलु, तोहि राम दुहाई। पायँ परौं, कर जोरि मनाई॥ॐ चं चं चं चं चपल चलंता।

ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता॥ॐ हं हं हाँक देत कपि चंचल। ॐ सं सं सहमि पराने खल-दल॥

अपने जन को तुरत उबारौ। सुमिरत होय आनंद हमारौ॥

Bajrang Baan :

यह बजरंग-बाण जेहि मारै। ताहि कहौ फिरि कवन उबारै॥

पाठ करै बजरंग-बाण की। हनुमत रक्षा करै प्राण की॥

यह बजरंग बाण जो जापैं। तासों भूत-प्रेत सब कापैं॥

धूप देय जो जपै हमेसा। ताके तन नहिं रहै कलेसा॥

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Vanshika Pandey

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