PUBLISHED BY : VANSHIKA PANDEY
पहली बार मां बनने का एहसास ही अलग होता है। सब कुछ नया नया और खास होता है। पर कई बातें ऐसी होती है जो पता नहीं होतीअगर आप पहली बार मां बन रही हैं तो आपके लिए यह जानना और भी जरूरी हो जाता है कि स्वस्थ गर्भावस्था के लिए आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। तो यहाँ है कुछ ज़रूरी टिप्स जो आपको माँ बन्ने के दौरान काम आएँगी..
उबला अंडा
गर्भावस्था के नौ महीनों के दौरान, शरीर बच्चे के पोषण और विकास के लिए कड़ी मेहनत कर रहा होता है। इस दौरान शरीर को पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन की जरूरत होती है, जिसे अंडे से पूरा किया जा सकता है। इससे मां और बच्चे दोनों की प्रोटीन की जरूरत को पूरा किया जा सकता है। हालांकि, आधे उबले या अधपके अंडे खाने से साल्मोनेला होने का खतरा होता है। यह एक प्रकार का जीवाणु संक्रमण है जो आंतों को प्रभावित करता है। इसमें उल्टी, दस्त, ऐंठन, बुखार, सिरदर्द और मल में खून शामिल है।
व्यायाम कैसे करें
स्वस्थ और फिट रहने के लिए व्यायाम से बेहतर कोई उपाय नहीं है। गर्भावस्था के दौरान वजन बढ़ने को व्यायाम से भी नियंत्रित किया जा सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार नियमित व्यायाम से मां और बच्चा दोनों स्वस्थ और सुरक्षित रहते हैं, लेकिन गर्भावस्था के दौरान सही व्यायाम का चुनाव करना बेहद जरूरी है।
सप्ताह में कम से कम 150 मिनट मध्यम तीव्रता वाला व्यायाम करें। रोजाना कुछ मिनट टहलें। श्वास संबंधी व्यायाम से भी लाभ होगा, लेकिन भारी सामान उठाने और ज़ोरदार व्यायाम से बचें।
अच्छी आदतें अपनाएं
स्वस्थ जीवनशैली का सीधा असर बच्चे के स्वास्थ्य पर पड़ता है। गर्भवती महिला को तंबाकू, सिगरेट और शराब का सेवन नहीं करना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान शराब पीने से माँ के रक्तप्रवाह से बच्चे के रक्तप्रवाह में अल्कोहल स्थानांतरित हो सकता है, जिससे फीटल अल्कोहल सिंड्रोम हो सकता है।
संतुलित आहार
महिलाओं को सिर्फ गर्भावस्था के दौरान ही नहीं बल्कि गर्भधारण से पहले और डिलीवरी के बाद भी अपने खान-पान का ध्यान रखना होता है। गर्भावस्था के दौरान पौष्टिक आहार लेने से बच्चे के मस्तिष्क का समुचित विकास होता है और जन्म के समय बच्चे का वजन भी।
संतुलित आहार बच्चे में जन्म दोष, गर्भावस्था में एनीमिया, मॉर्निंग सिकनेस आदि से भी बचाता है। जंक फूड खाने से बचें।
तनाव
सेहत का सबसे बड़ा दुश्मन तनाव है। तनाव का असर गर्भवती महिला और उसके होने वाले बच्चे दोनों पर पड़ता है। मानसिक और शारीरिक तनाव से दूर रहकर गर्भावस्था और प्रसव के दौरान होने वाली कई संभावित जटिलताओं से बचा जा सकता है।
तनाव गर्भधारण करने में भी समस्या पैदा कर सकता है और यहां तक कि समय से पहले प्रसव भी हो सकता है। यही वजह है कि गर्भवती महिलाओं को खुश रहने की सलाह दी जाती है।