लखनऊ चिकनकारी की कुशल कढ़ाई के लिए प्रसिद्ध है। यह एक कला रूप है जिसमें जटिल और कलात्मक हाथ की कढ़ाई शामिल है। चिकन का काम लखनऊ की सबसे लोकप्रिय और गौरवपूर्ण कृतियों में से एक है।
Rumi Darwaza : लखनऊ की शान
भगवान् श्री राम के छोटे भाई लक्ष्मण के नगरी के नाम से जाना जाने वाला शहर लखनऊ , जो की उत्तर प्रदेश की राजधानी है , जिसे कभी नवाबों के शासन के कारण इसे नवाबों का शहर भी कहा गया है . इस शहर ने ऐसी तमाम धरोहरें सहेज रखी हैं, जो आपको हैरानी में डाल सकती हैं जी हाँ और एक ऐसी ही एक इमारत है रूमी दरवाजा (Rumi Darwaza) या रूमी गेट. यह गेट कभी अवध के नवाबों की शान-ओ-शौकत दर्शाता था, तो आज इसे राजधानी की सिग्नेचर बिल्डिंग या हस्ताक्षर भवन के रूप में जाना जाता है.
Rumi Darwaza : लखनऊ की शान
आपको बता दे की रूमी दरवाजा का निर्माण अवध के नवाब आसफुद्दौला ने 1784 में आरंभ कराया था और दो साल बाद यह 1786 में बनकर तैयार हो गया था.इस शानदार दरवाजे को बनाने में करीब 22,000 लोग दिन रात लगे थे. रूमी दरवाजा बेहतरीन नक्काशी और बनावट के कारण दुनिया में अपनी अलग पहचान रखता है.
Rumi Darwaza : लखनऊ की शान
यह गेट अपनी बनावट और मजबूती के लिए भी ख़ास तौर पर जाना जाता है. तमाम दैवीय आपदाएं आईं पर ढाई सौ साल बाद भी यह रूमी दरवाज़ा जस का तस खड़ा है. लेकिन आपको बता दे की इस दरवाज़े के निर्माण के पीछे की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है.
Rumi Darwaza : लखनऊ की शान
रूमी दरवाजे के निर्माण में लखौड़ी वाली ईंटों, बादामी चूने, उड़द की दाल सहित कई अन्य सामग्रियों का उपयोग किया गया था. इस इमारत में भी लोहे और लकड़ी का कोई इस्तेमाल नहीं किया गया था.
Rumi Darwaza : लखनऊ की शान
60 फीट ऊंचे रूमी दरवाजे में चूने और ईंटों का इस्तेमाल किया गया है जो उस समय के लिहाज़ से काफी सस्ता था. रूमी दरवाज़े में इस्तेमाल सामग्री और स्टाइल ने अवधी या लखनवी स्थापत्य कला की नींव डाली.
Rumi Darwaza : लखनऊ की शान
इस दरवाजे की बनावट में हिंदू-मुस्लिम कला का मेल दिखाई देता है. पूरे गेट में कमल के फूलों की सजावट देखते ही बनती है. पुराने समय में रूमी दरवाजे के ऊपरी भाग पर लैंप रखे जाते थे, जो रात के अंधेरे में शहर को रोशन करते थे.