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भगवान शिव जी ने केदार क्षेत्र को कैलाश जितना महत्त्व दिया है। मन्दिर के गर्भ गृह में भगवान केदारनाथ का स्वयंमभू ज्योतिर्लिंग है और बाहर नंदी भगवान विराजमान है। केदारनाथ मंदिर न सिर्फ तीन पहाड़ बल्कि पांच नदियों मंदाकिनी, मधुगंगा, क्षीरगंगा, सरस्वती और स्वर्णगौरी का संगम भी है।
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यहां अलकनंदा की सहायक मंदाकिनी आज भी मौजूद है। लेकिन इन नदियों में से कुछ का अब अस्तित्व नहीं रहा। उत्तरांचल राज्य में हिमालय की घाटियों में केदारनाथ स्थित केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में एक और चार धामों में से एक और पंच केदार में से एक है। बहुत ज्यादा ठण्ड और बर्फबारी के कारण यह मंदिर साल में केवल 6 महीने अप्रैल से नवंबर माह तक ही खुलता है।
Tourism 2024: रेल से केदारनाथ कैसे जाएँ?
केदारनाथ का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश का रेलवे स्टेशन है। जो केदारनाथ से 228 किलोमीटर दूर है। अगर आपको ऋषिकेश के लिए कोई ट्रेन नहीं मिलती है तो आप देहरादून और हरिद्वार के रेलवे स्टेशन पर भी जा सकते है। इसके बाद आप टैक्सी या बस से गौरीकुंड तक जा सकते है। उसके बाद की यात्रा आपको पैदल या घोड़े / पालकी की सवारी करके जा सकते है।
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Tourism 2024: केदारनाथ पहुंचे हवाई जहाज से:
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केदारनाथ मंदिर का निकटतम हवाई अड्डा जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है, जो केदारनाथ से 248 किलोमीटर दूर है। हवाई अड्डा से आपको गौरीकुंड जाना होता है गौरीकुंड के लिए आप टैक्सी करके जा सकते हैं। गौरीकुंड पहुँचने के बाद केदारनाथ मंदिर जाने के लिए आपको 18 किलोमीटर तक पैदल जाना होगा या आप घोड़े / पालकी की सवारी करके भी जा सकते हैं।
Tourism 2024: कब जाये केदारनाथ:
मंदिर के कपाट खुलने के बाद आप मई – जून और सितंबर – अक्टूबर / नवंबर जब मंदिर के कपाट बंद होते है, तब तक का समय केदारनाथ यात्रा का समय उचित होता है।
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और जुलाई – अगस्त में यहां बहुत ज्यादा बारिश होती है जिससे यहां भूस्खलन भी होता है। इसलिए इस समय यहां यात्रा करना उचित नही होता है। केदारनाथ ठंडी के मौसम में बहुत ज्यादा ठंडा रहता है और इस समय मंदिर के कपाट भी बंद रहते है
Tourism 2024 : केदारनाथ में ठहरने के लिये:
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केदारनाथ मंदिर के पास ही आपको होटल और टेंट लगे हुए मिल जाएंगे।
जहां आपको रूकने के लिए रूम मिल जाते हैं। यहां सरकारी गेस्ट हाउस जैसे जीएमवीएन गेस्टहाउस व कैंप सुविधा आपको यहां आपको मिल जाएगी।
Tourism 2024: खाने की व्यवस्था:
हेलीपेड के पास में एक रेस्टॉरेंट है।
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वहां आपको खाने की अच्छी व्यवस्था मिल जाएगी। आप यहां के खाने जैसे कि आलू के गुटके कुमाऊंनी, चौंसु, कोड की रोटी, दुबुकी आदि चीजों का मजा ले सकते हैं
Tourism 2024: केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग:
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ऐसा कहा जाता है कि केदारनाथ मंदिर के चारों तरफ बहने वाली दुग्ध गंगा, मन्दाकिनी आदि देव नदियों के जल में स्नान करने से आयु बढती है भगवान श्री केदारनाथ का नाम स्मरण एवं शुभ संकल्प मन में लेता है, वह धन्य हो जाता है और अपने पितरों की अनेक पीढियों का उद्धार करता है और वह भगवान की कृपा से साक्षात् शिवलोक को प्राप्त हो जाता है। पंच केदार तीर्थों का अपना विशेष महत्त्व है। प्राचीन काल से इन स्थानों की बहुत विशेषतायें रही हैं जिनका वर्णन स्वयं भगवान शिवजी ने माता पार्वती जी से किया हैं ।
Tourism 2024: केदारनाथ ज्योतिर्लिंग की पौराणिक कहानी:
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पौराणिक कहानी के अनुसार जब कुरुक्षेत्र युद्ध (महाभारत की अंतिम लड़ाई) के बाद भगवान कृष्ण ने पांडवों को भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने और युद्ध में उनके द्वारा किए गए पापों का प्रायश्चित करने की शिक्षा दी थी। इसलिए, पांडव मोक्ष की तलाश करने से पहले, भगवान शिव से मिलने काशी गए। पर कहा जाता है कि भगवान शिव कुरुक्षेत्र युद्ध में बड़े पैमाने पर रक्तपात के लिए पांडवों से नाराज थे, इस वजह से वह उनसे मिलना नहीं चाहते थे। इसलिए, शिव ने काशी में पांडवों से मिलने से बचने के लिए एक बैल (नंदी) का रूप धारण किया और हिमालय पर चले गए। हालाँकि, जब पांडवों ने उसको देखा फिर उसका पीछा किया और उसे पहचान लिया। पांडवों को देखते ही बैल जमीन में समाने लगे। पांडवों ने बैल को उसकी पूंछ और पिछले पैरों से पकड़ने की कोशिश की लेकिन बैल केदारनाथ की सतह पर अपना कूबड़ छोड़कर विलुप्त हो गया। बैल के शरीर के अन्य अंग चार अलग स्थानों पर दिखाई दिए जो है तुंगनाथ में भुजाएँ, रुद्रनाथ में चेहरा, मध्यमहेश्वर में पेट, कल्पेश्वर में ताले और सिर। केदारनाथ के साथ इन चार अन्य तीर्थों को पंच केदार कहते है। एक अन्य कहानी के अनुसार यह भी कहा जाता है कि बैल का कूबड़ केदारनाथ में रहा, तो सिर काठमांडू के पशुपतिनाथ मंदिर में प्रकट हुआ। तत्पश्चात पाण्डवों द्वारा विधिवत पूजा अचना की गयी और पाण्डवों की प्रार्थना से भगवान शिव बहुत प्रसन्न हुए और महिष के पृष्ठ भाग के रूप में भगवान शंकर श्री केदारनाथ ज्योतिर्लिंग के रूम में अवतरित हो गये।
Tourism 2024 : केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग पितरों की अनेक पीढियों का उद्धार करता है:
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प्राचीन काल से इन स्थानों की बहुत विशेषतायें रही हैं जिनका वर्णन स्वयं भगवान शिवजी ने माता पार्वती जी से किया हैं । श्री बदरीनाथ जी की यात्रा से पहले श्री केदारनाथ जी की यात्रा करनी चाहिये। अपने पितरों की अनेक पीढियों का उद्धार करता है और वह भगवान की कृपा से साक्षात् शिवलोक को प्राप्त हो जाता है। पंच केदार तीर्थों का अपना विशेष महत्त्व है।
Tourism 2024: केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन:
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केदारनाथ मंदिर में मोबाइल ले जाना मना है। ये तो आपको पता ही होगा आप जब पैदल जाते है तो संंभल कर जाये घोड़े भी उसी रास्ते से जाते है तो आप उनसे संंभल कर चले। जब आप केदारनाथ मंंदिर के पास पहुंचते है तो फिर लाइन में लगकर बाबा के दर्शन के लिए आगे बढ़े और आगे बढ़ते हुए शिवजी के नाम का उच्चारण करते हुए मंदिर के अंदर प्रवेश करेंगें तो आपको देवी- देवताओं की मर्तियों के दर्शन होंंगे। उनके दर्शन करते हुए आपको गर्भग्रह में भगवान शिवजी के ज्योतिर्लिेग के दर्शन होंगे। आप केदारनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन करते हुए उनसे अपनी प्रार्थना करते हुए उनकी छवि को अपने मन में समा ले और जब भी आप उनका नाम ले तो उनका ज्योतिर्लिेग आपको याद आये।केदारनाथ बाबा का ध्यान करते हुए जाएं और शिव के मंत्र ओम नम: शिवाय काे बोलते हुए शिव से प्रार्थना करते हुए जाएं। आप जब पैदल जाते है तो संंभल कर जाये घोड़े भी उसी रास्ते से जाते है तो आप उनसे संंभल कर चले।
Tourism 2024: केदारनाथ Timings:
आप यहां ऑनलाइन बुकिंग करके भी पूूजा करवा सकते है। यहां अलग-अलग पूजा का अलग-अलग चार्ज लगता है।पांच मुख वाली भगवान शिव की प्रतिमा का विधिवत श्रृंगार करके 7:30 बजे से 8:30 बजे तक नियमित केदारनाथ जी की आरती होती है।
रात्रि 8:30 बजे केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग का मन्दिर बन्द कर दिया जाता है।केदारनाथ जी का मन्दिर आम दर्शनार्थियों के लिए प्रात: 7:00 बजे खुलता है।
दोपहर एक से दो बजे तक विशेष पूजा होती है और उसके बाद विश्राम के लिए मन्दिर बन्द कर दिया जाता है।
पुन: शाम 5 बजे जनता के दर्शन हेतु मन्दिर खोला जाता है।
Tourism 2024: केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग रहस्य:
केदारनाथ मंदिर के पीछे एक शिला है, जिसे भीम शिला कहते है। ऐसा कहा जाता है कि यह मंदिर सन 2013 में आयी बाढ़ में इसी शिला ने मंदिर की रक्षा की थी। पंचकेदार के मंदिरों के नाम है – केदारनाथ मंदिर, मध्यमहेश्वर मंदिर, तुंगनाथ मंदिर, रुद्रनाथ मंदिर, कल्पेश्वर मंदिर। केदारनाथ मंदिर 6 फीट के चबूतरे पर बना है। इस मंदिर में लगे पत्थर एक-दूसरे से इंटरलॉक है। केदारनाथ मंदिर की ऊँचाई 85 फीट, लंबाई 187 फीट, चौड़ाई 80 फीट है। मंदिर की छत एक ही पत्थर से बनी है। मृंदिर के गर्भ गृह में भगवान शंकर का बड़ी शिला के रूप में स्वयंभू ज्योतिर्लिंग स्थापित है । मां पार्वती जी की पाषाणमूर्ति गर्भ-गृह के बाहर है तथा सभामण्डप में श्री कृष्ण, पांच पांडव द्रोपदी एवं मां कुन्ती जी की मूर्तियां हैं । गणेश जी और श्री नंदी जी की पाषाण मूर्तियाँ मुख्य द्वार पर हैं । परिक्रमा पथ पर एक अमृतकुंड है और इसके पूर्व भाग में भैरवनाथ की मूर्ति है। केदारनाथ मंदिर में मंत्रों का जाप कन्नड़ भाषा में किया जाता है। केदारनाथ धाम में बहुत ठंड की वजह से केदारनाथ मंदिर के कपाट छ: महीने बंद रहता है और छ: महीने खुला रहता है। केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग त्रिभुज आकार का है। इसलिए यह सभी शिव मंदिरों में अलग है। केदारनाथ पर्यटन स्थल: 1.सोनप्रयाग केदारनाथ 2.त्रियुगी नारायण मंदिर केदारनाथ 3.भैरवनाथ मंदिर केदारनाथ 4.आदिगुरु शंकराचार्य समाधि केदारनाथ 5.चोराबाडी झील केदारनाथ 6.रुद्रगुफा केदारनाथ 7.गौरीकुंड केदारनाथ