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मान्यताओं के अनुसार, माता ब्रह्मचारिणी मां पार्वती का दूसरा रूप हैं, जिनका जन्म राजा हिमालय के घर उनके पुत्री के तौर पर हुआ था. मां ब्रह्मचारिणी ने शंकर जी को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए काफी कठिन तपस्या, साधना और जप किए थे
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मां ब्रह्मचारिणी को सरल, शांत और सौम्य का प्रतीक माना गया है. माता अपनी तप, त्याग दृढ़ शक्ति के लिए जानी जाती हैं. पौराणिक कथाओं में बताया गया है माता सती के आत्मदाह करने के बाद मां पार्वती का जन्म हुआ.
Brahmcharini mata : भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए किय था कठोर तप
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ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी और इसी वजह से उनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ गया. नवरात्रि के दूसरे दिन देवी के इसी स्वरूप की पूजा होती है. इनकी साधना और उपासना से जीवन की हर समस्या और संकट दूर हो जाता है.
Brahmcharini mata : ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै’ का करे जाप
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– अधिक से अधिक नवार्ण मंत्र ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै’ का जाप अवश्य करें। – इन दिनों में दुर्गा सप्तशती का पाठ अवश्य करें। – पूजन में हमेशा लाल रंग के आसन का उपयोग करना उत्तम होता है।
Brahmcharini mata : माँ ब्रह्मचारिणी की कथा
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मां ब्रह्मचारिणी ने अपने पूर्व जन्म में राजा हिमालय के घर में पुत्री रूप में लिया था. तब देवर्षि नारद के उपदेश से इन्होंने भगवान शंकर को अपने पति रूप में प्राप्त करने के लिए अत्यंत कठिन तपस्या की थी. इस दुष्कर तपस्या के कारण इन्हें तपस्चारिणी अर्थात ब्रह्मचारिणी नाम से अभिहित किया गया. कथा के अनुसार एक हज़ार वर्ष उन्होंने केवल फल, मूल खाकर व्यतीत किए और सौ वर्षों तक केवल शाक पर निर्वाह किया था. कुछ दिनों तक कठिन उपवास रखते हुए देवी ने खुले आकाश के नीचे वर्षा और धूप के भयानक कष्ट भी सहे.
Brahmcharini mata : ब्रह्मा जी ने की थी आकाशवाणी
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अंत में पितामह ब्रह्मा जी ने आकाशवाणी के द्वारा उन्हें संबोधित करते हुए प्रसन्न स्वर में कहा- देवी! आज तक किसी ने ऐसी कठोर तपस्या नहीं की जैसी तुमने की है. तुम्हारे इस कृत्य की चारों ओर सराहना हो रही हैं. तुम्हारी मनोकामना सर्वतोभावेन परिपूर्ण होगी. भगवान चंद्रमौलि शिवजी तुम्हे पति रूप में प्राप्त अवश्य होंगे. अब तुम तपस्या से विरत होकर घर लौट जाओ शीघ्र ही तुम्हारे पिता तुम्हें बुलाने आ रहे हैं. इसके बाद माता घर लौट आएं और कुछ दिनों बाद ब्रह्मा के लेख के अनुसार उनका विवाह महादेव के साथ हो गया.