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देश में चार स्वयंभू गणेश मंदिर हैं, जिनमें से रणथम्भौर में मौजूद त्रिनेत्र गणेश जी पहले नंबर पर आते हैं। रणथम्भौर त्रिनेत्र गणेश जी का मंदिर फेमस रणथम्भौर टाइगर रिजर्व के पास स्थित है, इसे रणथम्भौर मंदिर भी कहते हैं। मंदिर 1579 फ़ीट ऊंचा है, जिसके आसपास विंध्यांचल की पहाड़ियां स्थित हैं। यहां तक जाने के लिए आपको सीढ़ियां लेनी पड़ेंगी। इस मंदिर की ख़ास बात ये है की लोग अपना कोई भी शुभ काम करने से पहले इस मंदिर में डाक द्वारा गणेश जी को चिट्ठियां भेजते हैं।
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राजस्थान की राजधानी जयपुर से 150 किलोमीटर दूर सवाई माधोपुर के रणथंभौर किले के अंदर एक प्रसिद्ध गणेश मंदिर है। यहां के गणपति को भारत का प्रथम गणेश कहते हैं, जिनकी तीन आखें हैं। साथ ही यह देश का पहला मंदिर है, जिसमें भगवान अपनी दोनों पत्नी रिद्धि-सिद्धि और पुत्र शुभ-लाभ के साथ विराजमान हैं।
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त्रिनेत्र गणेश मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यहां आने वाले पत्र हैं। इस मंदिर की मान्यता है कि यहां सच्चे मन से मांगी हर मुराद पूरी होती है। इसलिए देशभर से भक्त अपने घर में होने वाले हर मंगल कार्य का पहला निमंत्रण पत्र त्रिणेत्र गणेश को भेजते हैं। इसके साथ ही श्रद्धालु डाक से अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए भगवान को अर्जी लगाते हैं।