spiritual
Trending

Mokshda Ekadashi : इसी दिन भगवान् श्री कृष्ण ने अर्जुन को दिया था गीता का उपदेश

साल की आखिरी एकादशी को लेकर लोगों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है. मोक्षदा एकादशी का पर्व 22 दिसंबर को मनाया जाएगा या फिर 23 दिसंबर को. आइये जानते हैं आखिर कौन से दिन है मोक्षदा एकादशी और इस दिन पूजा के लिए लिए शुभ मुहुर्त कितने समय का है.

मोक्षदा एकादशी का व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और कहा जाता है की मोक्षदा एकादशी के दिन ही भगवान् श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था .. मोक्षदा एकादशी की तिथि इस बार 22 दिसंबर को सुबह 8: 16 मिनट पर शुरू होगा और इसका समापन 23 दिसंबर को सुबह 7:11 मिनट पर होगा

मोक्षदा एकादशी व्रत कथा


पौराणिक कथा के अनुसार, गोकुल नगर में वैखानस नामक राजा का शासन था. एक दिन वह सपने में देखा कि उसके पिता नरक में हैं और कष्ट भोग रहे हैं. सुबह होते ही उसने अपने दरबार में विद्वानों को बुलाया और उनसे अपने स्वप्न के बारे में बताया.

राजा ने बताया कि उसके पिता ने कहा कि वे नरक में पड़े हुए हैं. वे यहां पर नाना प्रकार के कष्ट सहन कर रहे हैं. तुम नरक के कष्टों से मुझे मुक्ति दिलाओ. राजा ने कहा कि उसने जब से यह स्वप्न देखा है तब से बड़ा ही परेशान और चिंति​त है.

राजा ने सभी विद्वानों से कहा कि आप सभी इस समस्या का कोई उपाय बताएं, जिससे वह अपने पिता को नरक के कष्टों से मुक्ति दिला सके. यदि पुत्र अपने पिता को ऐसी स्थिति से मुक्ति नहीं दिला सकता है तो फिर उसका जीवन व्यर्थ है. एक उत्तम पुत्र ही अपने पूर्वजों का उद्धार कर सकता है.

राजा की बात सुनने के बाद सभी विद्वानों ने कहा कि यहां से कुछ दूर पर ही पर्वत ऋषि का आश्रम है. वे त्रिकालदर्शी हैं. उनके पास इस समस्या का समाधान अवश्य ही होगा. राजा अगले ​दिन पर्वत ऋषि के आश्रम में पहुंचे. उन्होंने प्रणाम किया तो पर्वत ऋषि ने आने का कारण पूछा. राजा ने आसन ग्रहण करने के बाद अपनी सारी बात पर्वत ऋषि को बताई.

तब पर्वत ऋषि ने अपने तपोबल से उनके पिता के पूरे जीवन को देख लिया. पर्वत ऋषि ने राजा से कहा कि उन्होंने तुम्हारे पिता के किए गए पाप को जान लिया है. पूर्वजन्म में उन्होंने काम के वशीभूत होकर एक पत्नी को रति दी, लेकिन सौत के कहने पर दूसरी पत्नी को ऋतुदान नहीं दिया. उस पाप कर्म की वजह से वे नरक के दुख भोग रहे हैं.

इस पर राजा ने इससे मुक्ति का उपाय पूछा. तब पर्वत ऋषि ने कहा कि तुम मोक्षदा एकादशी व्रत को विधिपूर्वक करो और उसके पुण्य फल को अपने पिता के नाम से संकल्प कर दो. इससे तुम्हारे पिता नरक से मुक्त हो जाएंगे. जब मोक्षदा एकादशी आई तो राजा ने विधिपूर्वक व्रत और पूजन किया. फिर बताए अनुसार उसके पुण्य फल को पिता के नाम से संकल्प करा दिया.

उस पुण्य फल के प्रभाव से वे मुक्त हो गए. उन्होंने अपने पुत्र से कहा कि तुम्हारा कल्याण हो. इसके बाद वे स्वर्ग चले गए. जो भी इस व्रत को करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है.

Vanshika Pandey

Show More

Related Articles

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker