छठ महापर्व एक ऐसा पर्व जिसमें ढलते सूर्य की भी आराधना की जाती है. इसके पीछे की मान्यता है कि भगवान सूर्य शाम के वक्त अपनी दूसरी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं. उसे समय अर्घ देने से जातक की मनोकामनाएं तुरंत पूर्ण हो जाती है
कार्तिक महीने में छठ महापर्व मनाया जाता है. छठ पूजा कार्तिक शुक्ल की षष्ठी तिथि को की जाती है लेकिन यह महापर्व 4 दिनों तक चलता है. इसकी शुरुआत कार्तिक शुक्ल की चतुर्थी तिथि से हो जाती है. इस साल छठ पूजा 17 नवंबर से शुरू हो रही है और 20 नवंबर 2023 तक चलेगी. छठ पूजा के पहले दिन नहाय-खाए होता है. दूसरा दिन खरना का होता है. तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही छठ पर्व समाप्त होता है. धर्म-शास्त्रों में उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देना बहुत शुभ माना जाता है. ज्योतिष के अनुसार सूर्य को अर्घ्य देने से कुंडली में सूर्य मजबूत होता है. सूर्य सफलता, आत्मा, सेहत, नेतृत्व क्षमता के कारक हैं.
छठ पूजा के तीसरे दिन शाम के समय नदी या तालाब में खड़े होकर ढलते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इसके पीछे मान्यता है कि अस्ताचलगामी सूर्य अपनी दूसरी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं, जिनको अर्घ्य देना तुरंत मनवांछित फल प्रदान करता है. डूबते सूर्य देव को अर्घ्य देने से जीवन में आर्थिक, सामाजिक, मानसिक, शारीरिक रूप से होने वाली हर प्रकार की समस्याएं दूर होती हैं. इसके बाद अगले दिन उगते हुए सूर्य को भी अर्घ्य दिया जाता है. उगते सूर्य को अर्घ्य देने से स्वास्थ्य बेहतर होता है. जीवन में नाम और यश मिलता है. छठ पूजा के आखिरी दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है.