PUBLISHED BY – LISHA DHIGE
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Navratri 2023 : नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। इनकी पूजा-अर्चना करने से भक्तों को अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति सहज ही हो जाती है। उसके रोग, शोक, क्रोध और भय नष्ट हो जाते हैं। जन्म के सभी पाप भी नष्ट हो जाते हैं।
नवरात्रि के छठे दिन इस देवी की पूजा की जाती है। विश्व प्रसिद्ध महर्षि कात्यायन ने कात्या गोत्र में भगवती परम्बु की उपासना की थी। उन्होंने घोर तपस्या की। उनकी इच्छा थी कि उनकी एक बेटी हो। मां भगवती ने उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लिया।
कात्यायनी माता कौन थी?
मां दुर्गा के नौ रूपों में छठे स्वरूप के रूप में कात्यायनी की पूजा की जाती है। मां ने अपने भक्त ऋषि कात्यायन के लिए यह रूप धारण किया था। देवी भागवत पुराण में कथा है कि ऋषि कात्यायन मां आदिशक्ति के परम भक्त थे। उनकी इच्छा थी कि देवी उनकी पुत्री के रूप में उनके घर आएं।
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कात्यायनी देवी की पूजा क्यों की जाती है?
मां कात्यायनी की पूजा करने से भक्तों को आसानी से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही इनकी पूजा करने से व्यक्ति को शीघ्र विवाह और मनचाहे जीवनसाथी की प्राप्ति का वरदान प्राप्त होता है। कहा जाता है कि द्वापर युजा में गोपियों ने श्रीकृष्ण को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए मां कात्यायनी की आराधना की थी।
कात्यायनी किसका प्रतीक है?
यह ज्ञान और शांति का प्रतीक है। ऐसा कहा जाता है कि देवी कात्यायनी का आशीर्वाद उपासक के पापों को धो सकता है, नकारात्मक शक्तियों को दूर कर सकता है और बाधाओं को दूर कर सकता है। Navratri 2023इसके साथ ही जिस दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है उस दिन कुंवारी कन्याएं मनचाहा वर पाने के लिए व्रत रखती हैं।
मां कात्यायनी पूजा विधि
नवरात्रि पर्व के छठे दिन सबसे पहले स्नान और ध्यान के बाद कलश पूजा करें और फिर मां दुर्गा और मां कात्यायनी की पूजा करें। सेवा शुरू करने से पहले अपनी मां का स्मरण करें और हाथ में फूल लेकर संकल्प करें। इसके बाद पुष्प माता को अर्पित करें। फिर मां को कुमकुम, अक्षत, फूल आदि और सोलह श्रृंगार का अर्पित करें। Navratri 2023फिर उनके प्रिय भोग में शहद का भोग लगाएं और मिठाई आदि का भी भोग लगाएं। फिर जल चढ़ाएं और घी का दीपक जलाकर माता की आरती करें। आरती से पहले दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्तशती का पाठ करना न भूलें।
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करें इन मंत्रों का जाप
- या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।
- चंद्रहासोज्जवलकरा शार्दूलवर वाहना ।
कात्यायनी शुभंदद्या देवी दानवघातिनि ।।
मां कात्यायनी का स्वरूप
शास्त्रों के अनुसार मां का स्वरूप सोने के समान चमकीला है और उनकी चार भुजाएं हैं। प्रत्येक भुजा में माता तलवार, कमल, अभय मुद्रा और वर मुद्रा रखती हैं।Navratri 2023 माता कात्यायनी का प्रिय रंग लाल है। किवदंतियों के अनुसार महर्षि कात्यायन की तपस्या के बाद माता कात्यायनी ने उनकी पुत्री के रूप में जन्म लिया। मां दुर्गा ने महिषासुर का रूप धारण कर उसका वध किया और देवताओं और मनुष्यों को उसके आतंक से मुक्त किया।