Tourism
Trending

Bihar tourist places 2023….

इसे भारत का प्रमुख रेशम उत्पादक नगर कहा जाता है। नालंदा के बाद विक्रमशिला विश्वविद्यालय शिक्षा का बड़ा केंद्र था। जिनके अवशेष प्रतिदिन हजारों पर्यटकों द्वारा देखे जाते हैं।

PUBLISHED BY -LISHA DHIGE

बिहार चार राज्यों उत्तर प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल और एक तरफ नेपाल देश की सीमा से घिरा हुआ है। इसका इतिहास बहुत ही गौरवपूर्ण रहा है। यह भूमि बुद्ध, महावीर और सम्राट अशोक की रही है।

बिहार में कई प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हैं। बिहार के पर्यटन स्थल अनादि काल से बिहार की धरती को गौरवान्वित करते आ रहे हैं। यह पर्यटन स्थल अपने ऐतिहासिक महत्व के कारण अक्सर पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है।

पटना

बिहार के मुख्य शहर में पटना का नाम आता है। पटना, बिहार राज्य की वर्तमान राजधानी, पतित पवन गंगा नदी के तट पर एक ऐतिहासिक शहर है। अजातशत्रु ने मगध की राजधानी को राजगृह से पाटलिपुत्र (पटना) स्थानांतरित कर दिया। पटना में पर्यटकों के घूमने के लिए कई प्रसिद्ध स्थान हैं।
यहीं से सम्राट अशोक ने अपने राज्य का संचालन किया। बाद में शेर शाह सूरी ने इसका जीर्णोद्धार कराया और इसका नाम पाटलिपुत्र से बदलकर पटना कर दिया गया। इस शहर में आज भी बीते युग के गौरवशाली इतिहास के अवशेष देखे जा सकते हैं।

पटना का गोलघर, संजय गांधी जैविक पौधा, पटना साहिब, बड़ी पटन देवी मंदिर, अगम कुआँ, प्राचीन पाटलिपुत्र के अवशेष आदि बिहार के पर्यटन स्थलों की सूची में प्रमुख हैं। पटना स्थित हनुमान मंदिर की गिनती बिहार के प्रमुख मंदिरों में होती है।

महाबोधि मंदिर ‘गया’

बिहार के प्रसिद्ध स्थान महाबोधि मंदिर का बहुत ही विशेष महत्व है। यह स्थान बौद्ध धर्म से जुड़ा हुआ है। इस स्थान पर करीब 2500 साल पहले भगवान बुद्ध ने पीपल के पेड़ के नीचे तपस्या की थी।

कहा जाता है कि 49 दिनों की कठोर तपस्या के बाद, वैशाख महीने की पूर्णिमा के दिन उन्हें दिव्य ज्ञान प्राप्त हुआ। वह पीपल का वृक्ष वर्तमान में बोधि वृक्ष के नाम से प्रसिद्ध है।
भगवान बुद्ध के जन्मदिन के मौके पर दुनिया भर से बौद्ध समुदाय के लोग यहां भगवान बुद्ध की पूजा करने के लिए इकट्ठा होते हैं। बौद्ध मंदिर के अंदर भगवान बुद्ध का कमल आसन है। यह दुनिया भर के पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र था।

पित्तरों की मोक्ष स्थली गया

पितरों के तर्पण के लिए गया का विशेष महत्व है। पिंडदान के लिए भारत के कोने-कोने से लोग गया जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

पौराणिक कथा के आधार पर कहा जाता है कि असुर गयासुर ने अपने पिता की हत्या का बदला लेने के लिए देवताओं से युद्ध किया था। परिणामस्वरूप, नारायण को स्वयं पराक्रमी असुर गयासुर से लड़ने के लिए आना पड़ा।

भगवान नारायण की इच्छा के अनुसार, गयासुर पत्थर में परिवर्तित हो गया था। भगवान नारायण ने गयासुर की मनोकामना पूरी करते हुए वरदान दिया कि जो कोई भी इस शिला पर अपने पूर्वजों के शरीर का दान करेगा, उसे मोक्ष की प्राप्ति होगी।

तभी से गया जाकर पितरों के उद्धार के लिए पिंड दान करने की परंपरा चली आ रही है। यहां आपको पिंडदान कराने के लिए पंडित मिलते हैं।

इस स्थान पर भगवान विष्णु का मंदिर है। जो विष्णुपद मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां किसी भी मूर्ति की पूजा नहीं की जाती है।

इस प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार रानी अहिल्याबाई ने 1789 ई. में करवाया था। कहा जाता है कि भगवान राम भी यहां माता सीता के साथ अपने पिता राजा दशरथ का शरीर दान करने 103 आए थे।

राजगीर, प्राचीन मगध की राजधानी 

राजगीर, जिसका प्राचीन नाम राजगृह था, अपने आप में एक गौरवशाली इतिहास समेटे हुए है। यहां गौतम बुद्ध और महावीर स्वामी ने अपना उपदेश दिया था।

राजगीर में स्थित गर्म पानी के झरने भी बहुत प्रसिद्ध हैं। कहा जाता है कि इन झरनों के पानी में कई औषधीय गुण हैं। बिंबासार के बाद अजातशत्रु ने यहां शासन किया। अजातशत्रु अपने पिता को कारागार में डालकर स्वयं सम्राट बना।

राजगृह का उल्लेख रामायण और महाभारत काल में भी मिलता है। महाभारत काल में राजगीर जरासंघ की राजधानी थी। जिसने एक युद्ध में भगवान श्री कृष्ण को युद्ध छोड़ने पर विवश कर दिया था।

तभी से भगवान श्री कृष्ण का नाम रणछोड़ पड़ा। जरासंघ बाद में महाभारत के युद्ध में भीम द्वारा मारा गया था। बौद्ध धर्म के लिए भी यह स्थान बहुत महत्वपूर्ण है।

यहां बौद्ध समुदाय द्वारा विश्व शांति स्तूप की स्थापना की गई है। राजगीर में घूमने लायक जगहों की बात करें तो जरासंघ का अखाड़ा, पिपला गुफा, बिंबासर जेल, सप्तपर्णी गुफा आदि यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं।

एसिया का सबसे बड़ा पशु मेला, सोनपुर

सोनपुर में विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक पशु मेला लगता है। कहा जाता है कि बिहार में लगने वाला सोनपुर मेला एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला है। यह मेला कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन लगता है।

इसे हरिहर क्षेत्र का मेला भी कहा जाता है। मेले में काफी भीड़ होती है। विश्व प्रसिद्ध इस मेले को देखने देश के कोने-कोने से लोग आते हैं।

पावापुरी, जैन धर्म का पावन स्थल

इसका नाम एक प्रसिद्ध जैन तीर्थ स्थल में शामिल है। यहां का जल मंदिर बहुत प्रसिद्ध और देखने लायक है। भगवान महावीर स्वामी ने यहां निर्वाण (शरीर का त्याग) प्राप्त किया।

ऐतिहासिक कथा के अनुसार, जब भगवान महावीर के शरीर की पवित्र राख उनके भक्तों द्वारा उठाई गई थी। भक्तों की संख्या असंख्य थी।

फलत: हुआ यह कि जब भस्म समाप्त हो गई तो भस्म के स्पर्श से शुद्ध हुई मिट्टी को ही भक्त ले जाने लगे। देखते ही देखते वह स्थान एक बड़े गड्ढे में बदल गया।

इस प्रकार वहाँ से जल निकला और वह पवित्र कमल सरोवर में परिवर्तित हो गया। यह सरोवर कमल के फूलों से भरा है।

वैशाली, जहाँ विकसित हुआ लिच्छवी गणराज्य

लिच्छवि वंश के राजा इक्ष्वाकु के पुत्र विशाल के नाम पर इस स्थान का नाम पहले विशालपुरी रखा गया था। कालांतर में इसे विशालपुरी से वैशाली कहा जाने लगा। लिच्छवि गणराज्य ने दुनिया को सबसे पहले लोकतंत्र का पाठ पढ़ाया।

जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर वर्धमान महावीर का जन्म वैशाली के एक उपनगर कुंभग्राम में हुआ था। वैशाली महात्मा गांधी सेतु द्वारा पटना से जुड़ा हुआ है।

बौद्ध स्तूप, चतुर्भुज महादेव, संग्रहालय में बुद्ध भस्म, तांबे के सिक्के, पुष्पकारिणी, राजा विशाल का किला, मीरजानी की दरगाह, पाल युग का बावन पोखर आदि यहां देखने लायक हैं।

नालन्दा

नालंदा प्राचीन काल से ही शिक्षा का विश्वविख्यात केंद्र रहा है। इसे तीसरी शताब्दी में महान सम्राट प्रियदर्शी अशोक ने बनवाया था। जहां दुनिया भर से लोग ज्ञान प्राप्त करने आते थे। कहा जाता है कि नालंदा विश्व का सबसे पुराना विश्वविद्यालय है। चीनी यात्री ह्वेनसांग ने यहीं शिक्षा ग्रहण की थी। इसे बख्तियार खिलजी ने नष्ट किया था जिसके अवशेष नालंदा में देखे जा सकते हैं।

एतिहासिक नगरी मुंगेर

मुंगेर बिहार के अंतिम नवाब मीर कासिम की राजधानी थी। उनके द्वारा बनवाए गए किले के अवशेष आज भी देखे जा सकते हैं। इसका उल्लेख रामायण और महाभारत काल में भी मिलता है। मुंगेर के दर्शनीय स्थलों में कई ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों के नाम शामिल हैं।

कहा जाता है कि उस समय मुंगेर का नाम मोदगिरी था। यहां पानी के बीच टापू पर सीता चरण मंदिर है। जिसके पास सीता कुंड स्थित है। कहा जाता है कि इस कुंड की उत्पत्ति सीताजी की अग्नि परीक्षा के दौरान हुई थी।

सीता-कुंड से 10 किमी. दूर ऋषिकुंड स्थित है, यहां गर्म पानी का कुंड है। हर साल हजारों की संख्या में श्रद्धालु इस स्थान के दर्शन के लिए आते हैं। मुंगेर का संबंध महाभारत के अंगराज कर्ण से भी रहा है

भागलपुर, जहाँ था प्राचीन विक्रमशीला विश्वविध्यालय

भागलपुर बिहार की राजधानी पटना से लगभग 200 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पतित पवन गंगा नदी के तट पर बसा यह ऐतिहासिक नगर चम्पानगरी के नाम से प्रसिद्ध था। प्राचीन काल में यह अंग देश की राजधानी थी।

इसे भारत का प्रमुख रेशम उत्पादक नगर कहा जाता है। नालंदा के बाद विक्रमशिला विश्वविद्यालय शिक्षा का बड़ा केंद्र था। जिनके अवशेष प्रतिदिन हजारों पर्यटकों द्वारा देखे जाते हैं।

Vanshika Pandey

Show More

Related Articles

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker