छत्तीसगढ़

बातें लोकतंत्र की हैं, पत्रकारिता की आज़ादी की हैं, सुशासन की हैं, पर तंत्र सिर्फ बेईमानी की माला जपने वालों के साथ खड़ा है।

“आदित्य गुप्ता”

अंबिकापुर – पत्रकारिता करना बेहद कठिन है। ईमानदार पत्रकारिता में पैसा नहीं है। ईमान वाली पत्रकारिता की राह पर अनंत मुश्किलें। ये मुश्किलें मुफलिसी तो देती ही हैं। कभी ख़बरें जानलेवा भी बन जाती हैं। छत्तीसगढ़ के बीजापुर में एक पत्रकार की ज़िंदगी उसकी ईमानदार खबर ने ले ली थी। साहस से भरे युवा पत्रकार हमारे साथी मुकेश चंद्रकार की हत्या कर दी गई थी। शव उसी ठेकेदार के परिसर में मिला जिसके भ्रष्टाचार की ख़बरें मुकेश ने उजागर की। सड़क निर्माण में भ्रष्टाचार के खुलासे करने वाले पत्रकार को मारकर सेप्टिक टैंक में दफना दिया। ये हत्या ठेकदारों, कारोबारी घरानों को सरकारी तंत्र से मिले हौंसले का नतीजा है।

साथियों ये हत्या दर्शाती है कि पूरा तंत्र एक सड़ांध मारता सेप्टिक टैंक है। बातें लोकतंत्र की हैं, पत्रकारिता की आज़ादी की हैं, सुशासन की हैं, पर तंत्र सिर्फ बेईमानी की माला जपने वालों के साथ खड़ा है।

ये वही बस्तर है जहां केंद्रीय गृह मंत्री ने नक्सलियों के खात्मे का ऐलान किया है। पर प्रदेश में तंत्र का पैदा किया अपना आतंक कब ख़त्म होगा ?

मुकेश चंद्राकर की हत्या का बदला इस भ्रष्टाचार और कलंकित हिंसात्मक माहौल के खात्मे की कसम के साथ शुरू होता है.. स्व. मुकेश की हत्या के बाद हम और हमारे जैसे सैकड़ो पत्रकार आप सभी से वर्तमान के इस भययुक्त भ्रष्टाचारी और आपराधिक लड़ाई को अंदरून जुनूनी तौर पर लड़ने का आव्हान करते हैं।यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी हमारे पत्रकार साथी स्व. मुकेश को।

Vanshika Pandey

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