बांके बिहारी मंदिर के कॉरिडोर के निर्माण की प्रक्रिया अब शुरू होगी. इस निर्णय से मंदिर के गलियारे के निर्माण में कई वर्षों की रोकथाम के बाद कदम बढ़ा है. इससे श्रद्धालुओं को मंदिर के प्रति अधिक सुविधा होगी और उन्हें आसानी से दर्शन और पूजा करने का अवसर मिलेगा. इलाहाबाद हाईकोर्ट का निर्णय सरकार की योजना को समर्थन करने का एक स्पष्ट संकेत है, और इससे स्थानीय लोगों को भी लाभ हो सकता है.
गोस्वामी परिवार द्वारा पूजा-अर्चना और श्रृंगार में किसी भी हस्तक्षेप की अनुमति नहीं देने का आश्वासन देना भी बहुत अच्छा है, जिससे विश्वास बना रहेगा और सभी स्थानीय लोग सुकून से मंदिर की सेवा करने का आनंद लेंगे.
इस प्रकार के परियोजनाओं से समाज में सामूहिक भक्ति और सामाजिक एकता का बढ़ना संभव है, जो आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं।
]कॉरिडोर का जो प्रस्ताव अब तक सामने आया है, उसके मुताबिक कॉरिडोर का निर्माण दो हिस्सों में होगा और यह दो मंजिला होगा यानी ऊपरी क्षेत्र और निचला क्षेत्र. इस कॉरिडोर का डिजाइन पूरी तरह से तैयार है और इसमें करीब 500 करोड़ रुपए की लागत आएगी. बांके बिहारी कॉरिडोर के दोनों हिस्सों को विद्यापीठ और परिक्रमा मार्ग से जोड़ा जाएगा. प्रस्ताव के मुताबिक, इस कॉरिडोर के लिए करीब 275 से अधिक दुकानों और मकानों का अधिग्रहण किया जाएगा, जिसमें आवासीय और व्यावसायिक भवन भी शामिल हैं.
बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर का ब्लूप्रिंट सरकार पहले ही तैयार कर चुकी है और इस कॉरिडोर में कहां-क्या होगा और यह कैसा होगा, इसकी पूरी रूप-रेखा तैयार है. यह कॉरिडोर करीब साढ़े पांच एकड़ क्षेत्र में प्रस्तावित है और बांके बिहारी कॉरिडोर के निर्माण से एक साथ करीब दस हजार लोग अपने ठाकुर जी का दर्शन आसानी से कर सकेंगे. इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद से श्रद्धालुओं को बड़ी राहत मिली है. कॉरिडोर के लिए योजना में यह उल्लेख किया गया कि मंदिर के आसपास पांच एकड़ जमीन पर पार्किंग और अन्य सार्वजनिक सुविधाएं भी मुहैया करायी जाएंगी, जिसका खर्च राज्य सरकारी उठायेगी. प्रस्ताव ऐसा है कि कॉरिडोर से ही बांके बिहारी का मंदिर श्रद्धालुओं को दिख जाएगा.