
यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है जो छत्तीसगढ़ में लोगों को अपनी पारंपरिक व्यंजनों के महत्व को समझने और संजोय करने में मदद करेगा। यह स्वस्थ और स्वादिष्ट खाने के विकल्प के रूप में भी काम आएगा। इस अभियान से यह संदेश भी जारी होता है कि हमारी पारंपरिक भोजन के महत्व को बनाए रखना चाहिए और इसे संजोय करना चाहिए।

बोरे-बासी एक पारंपरिक छत्तीसगढ़ी व्यंजन है जो ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत लोकप्रिय है। इसमें चावल के अलावा उरद दाल, चने की दाल, मैदा, हरी मिर्च, हल्दी, धनिया और अन्य मसाले होते हैं। इसे दही, चटनी और सब्जियों के साथ परोसा जाता है। इसे स्वादिष्ट और पौष्टिक माना जाता है। इसे गर्मियों में ज्यादा खाया जाता है और इसका सेवन स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है। इसे अब विभिन्न रेस्तरां और होटलों में भी परोसा जाता है।

बोरे बासी एक प्रकार का फ़ेरमेंटेशन होता है जिससे चावल का स्वाद भी बेहतर हो जाता है। बोरे बासी के नुकसान भी हो सकते हैं, अगर चावल को ज्यादा समय तक पानी में रखा जाता है तो उसमें बैक्टीरिया बढ़ने लगते हैं जो सेहत के लिए हानिकारक हो सकते हैं। इसलिए, चावल को पानी में रखने से पहले अच्छी तरह से धोए और स्वच्छता का ध्यान रखें।

बोरे बासी एक स्वस्थ और पौष्टिक व्यंजन होता है जो भारत के कई राज्यों में खाया जाता है। यह आसानी से बनता है और गर्मी में ताजगी और ताकत मिलती है। इसमें प्रोटीन, फाइबर, विटामिन जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं जो हमारे शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। इसलिए, इसे सेहत के लिए बहुत अच्छा माना जाता है।

बोरे-बासी खाने के बाद शरीर को अनेक फायदे होते हैं। इसमें पानी की भरपूर मात्रा होती है, जो शरीर को ठंडा रखती है और लू से बचाती है। इसमें उपस्थित पोषक तत्वों से शरीर को उपयोगी विटामिन, फाइबर और प्रोटीन जैसे पोषण तत्व प्राप्त होते हैं।

इसके अलावा, बोरे-बासी खाने से पथरी की समस्या से बचा जा सकता है, क्योंकि इसमें मूत्रशोथहर गुण होते हैं। साथ ही, इसे खाने से चेहरे में ताजगी और शरीर में स्फूर्ति रहती है। बोरे-बासी में माड़ भी होती है, जो मांसपेशियों को पोषण प्रदान करती है। इसलिए, बोरे-बासी खाना स्वस्थ और पौष्टिक भोजन होता है।