Published By- Komal Sen
हर व्यक्ति अपनी लाइफ में सफल होना चाहता है ,लेकिन कई बार कुछ कारणों के वजह से अपने रास्ते से भटक जाता है, तो चलिए जानते है कैसे हम छोटी छोटी कहानियों से आत्मविश्वास बढ़ा सकते है –
1) पहली कहानी : धोबी का गधा कुएं में गिर गया
एक बार एक धोबी का गधा एक गहरे गड्ढे में गिर गया। धोबी ने उसे बाहर निकालने का प्रयास किया। बूढ़ा और कमजोर होने के बावजूद गधे ने गड्ढे से बाहर निकलने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी, लेकिन गधा और धोबी दोनों ही असफल रहे।
धोबी को कड़ी मेहनत करते देख कुछ ग्रामीण उसकी मदद के लिए पहुंचे, लेकिन कोई उसे गड्ढे से बाहर नहीं निकाल सका। तब गांव वालों ने धोबी से कहा कि गधा अब बूढ़ा हो गया है, इसलिए बुद्धिमानी है कि गड्ढे में मिट्टी डालकर यहीं गाड़ दें।
थोड़ा मना करने के बाद धोबी भी इस पर राजी हो गया। ग्रामीणों ने फावड़े के सहारे गड्ढे में मिट्टी डालना शुरू कर दिया। अचानक धोबी ने देखा कि गधा अजीब काम कर रहा है। जैसे ही गांव वाले उस पर मिट्टी डालते, वह अपने शरीर से मिट्टी को गड्ढे में गिरा देता और उस मिट्टी के ऊपर चढ़ जाता। ऐसा लगातार करने से मिट्टी गड्ढे में भरती रही और गधा उस पर चढ़कर ऊपर आ गया।
सीख – कठिन परिस्थितियों में कठिनाइयों को दूर करने के लिए अपनी बुद्धि का प्रयोग करें।
2) दूसरी कहानी : मुल्ला नसरुद्दीन
एक बार मुल्ला नसरुद्दीन अपने बेटे के साथ अपने गधे के साथ बाजार से गुजर रहा था। गधा उसके साथ था, लेकिन मुल्ला और उसका बेटा चल रहे थे। कुछ लोगों ने यह देखा तो कहने लगे, “देखो, मुल्ला कितना मूर्ख है, गधा साथ होने के बाद भी बाप-बेटा दोनों पैदल चल रहे हैं।” इसलिए मुल्ला ने अपने बेटे को गधे पर बिठाया।
आगे बढ़ने पर उसने एक पेड़ के नीचे कुछ लोगों को देखा। जब उन्होंने मुल्ला को पैदल और उसके बेटे को गधे पर सवार देखा, तो उन्होंने कहा – ‘यह कैसा लड़का है? यह आपके पिता के बारे में नहीं है। सख्त होते हुए भी वह खुद गधे पर सवार है और बेचारा बूढ़ा बाप चल रहा है। बड़ों का सम्मान करने का समय समाप्त हो गया है। इस बात से मुल्ला के बेटे को बुरा लगा। वह गधे से उतरा और मुल्ला से कहा, ‘अब्बा, मैं बहुत देर तक गधे पर बैठा रहा। अब तुम बैठो, मैं चलूँगा।’ मुल्ला गधे पर बैठ गया। बेटा चलने लगा।
वे लोग कुछ दूर चले गए थे कि कुछ लोगों से फिर मिले। मुल्ला को गधे पर बैठा देख वह कहने लगा, ‘इतना क्रूर बाप हमने कभी नहीं देखा। इसमें उनके बेटे के लिए कोई प्यार नहीं है। वह खुद मजे से गधे की सवारी कर रहे हैं और अपने बेटे को पैदल चला रहे हैं। यह सुनकर मुल्ला को बुरा लगा। उसने अपने बेटे से कहा, ‘बेटा! तुम भी गधे पर बैठो।’ अब दोनों ने गधे पर बैठकर अपनी यात्रा जारी रखी।
वे कुछ दूर चले गए कि फिर कुछ लोगों से मिल गए। मुल्ला और उसके बेटे को गधे पर सवार देखकर उसने कहा, ‘कितने क्रूर लोग हैं! दोनों बेचारे गधे पर बैठ गए हैं। उन्हें इस बात की चिंता नहीं है कि गधे को क्या हो रहा है। यह सुनकर मुल्ला और बेटे को फिर बुरा लगा। वे दोनों गधे से उतरे और चलने लगे।
सीख- दुनिया हर सलाह देगी, जो गलत हो सकती है. अपनी स्थिति में अपना निर्णय स्वयं लें।
3) तीसरी कहानी: इस दुनिया में कोई प्रसिद्ध नहीं है
जब वे अपने गाँव पहुँचे, तो मुल्ला और उसके बेटे को पैदल आते देख, एक गधा होने के बावजूद, एक परिचित ने कहा, ‘मुल्ला, मूर्खता की हद होती है। तुम्हारे पास एक बड़ा गधा है, फिर भी दोनों पैदल चल रहे हैं। अरे, उस पर बैठने में आराम नहीं मिल रहा था? अपने दिमाग से काम ले।
हमारे अपने भगवद गीता के सदाबहार श्लोकों को याद करें। न कुछ लाए, न कुछ लेंगे। तुम्हारे आने से पहले दुनिया चल रही थी, तुम हो तब भी चल रही है और तुम्हारे जाने के बाद भी चलती रहेगी। इस विशाल ब्रह्मांड में आपकी भूमिका पृथ्वी के पारिस्थितिकी तंत्र में सर्वोच्च उपभोक्ता की भूमिका निभाने से ज्यादा कुछ नहीं है, इस जिम्मेदारी को भी समझें। सबसे बड़ा धन्ना सेठ एक दिन धूल में मिल जाएगा, याद रखना।
सीख – तनाव को अपने पास न आने दें, मस्त रहें।