Buland Chhattisgarh : पत्रकार उत्पीड़न मामला: राज्य सरकार चुप, अब राष्ट्रीय आयोगों का शिकंजा!
— सुनीता पांडे की शिकायत पर बड़ा एक्शन, महिला आयोग-मानवाधिकार आयोग ने केस दर्ज कर जांच शुरू की
— रायपुर पुलिस से जवाब-तलब: आधी रात की कार्रवाई पर 30 दिन का अल्टीमेटम
— राज्य प्रशासन की चुप्पी पर गंभीर सवाल, दो शीर्ष राष्ट्रीय संस्थाओं से राहत की उम्मीद
रायपुर। छत्तीसगढ़ में पत्रकारों के साथ हुए कथित अभद्र व्यवहार, हिंसा और आधी रात की पुलिस कार्रवाई के मामले ने अब राष्ट्रीय स्तर पर नया मोड़ ले लिया है। राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन द्वारा एक महीने से कार्रवाई न किए जाने के बीच, राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) – दोनों ने इस प्रकरण को गंभीरता से लिया है और संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है।
यह वही मामला है जिसमें ‘बुलंद छत्तीसगढ़’ और ‘न्यूज़ 21’ के पत्रकारों के साथ जनसंपर्क विभाग के अपर संचालक संजीव तिवारी द्वारा कथित गाली-गलौज और मारपीट का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। इसके बाद 10 अक्टूबर की आधी रात पत्रकार मनोज पांडे के घर पुलिस ने बिना वारंट घुसपैठ की, ताला मशीन से तोड़ा, और घर में मौजूद महिलाओं व बेटियों के साथ अभद्रता की।
इस घटनाक्रम के खिलाफ पत्रकार की पत्नी सुनीता पांडे ने मुख्यमंत्री, गृह मंत्री, पुलिस अधीक्षक, प्रधानमंत्री कार्यालय, गृह मंत्रालय, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया, राष्ट्रीय महिला आयोग और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग सहित कई संस्थाओं को शिकायत भेजी थी।
राज्य सरकार और पुलिस की चुप्पी के बीच सुनीता पांडे, उनके परिवार और पत्रकार समुदाय को अब राष्ट्रीय महिला आयोग और मानवाधिकार आयोग की हस्तक्षेप से नई उम्मीद मिली है।
दोनों आयोगों द्वारा की गई यह कार्रवाई न केवल कानूनन महत्वपूर्ण है, बल्कि यह संदेश भी देती है कि लोकतंत्र में पत्रकारों को दबाया नहीं जा सकता, और महिलाओं की सुरक्षा सर्वोपरि है।
अब नजरें इस बात पर हैं कि रायपुर पुलिस 30 दिन में आयोग को क्या रिपोर्ट भेजती है और राज्य सरकार इस मामले में क्या रुख अपनाती है।
महिला आयोग की कड़ी टिप्पणी: 30 दिनों में रिपोर्ट अनिवार्य, अन्यथा आगे की कार्रवाई
राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने 11 नवंबर 2025 को अपनी औपचारिक चिट्ठी में इस मामले को महिलाओं के खिलाफ उत्पीड़न और पुलिस की उपेक्षा संबंधी गंभीर शिकायत मानते हुए रायपुर पुलिस को तत्काल जांच करने और 30 दिनों के भीतर विस्तृत रिपोर्ट भेजने के निर्देश दिए हैं।
पत्र में आयोग की सदस्य ममता कुमारी ने स्पष्ट लिखा है:
“यदि 30 दिनों के भीतर आवश्यक कार्यवाही रिपोर्ट नहीं भेजी गई, तो आयोग आवश्यक वैधानिक कार्रवाई करने के लिए अधिकृत होगा।”
यह टिप्पणी बताती है कि आयोग इस मामले को साधारण शिकायत नहीं, बल्कि संवेदनशील और कानूनी रूप से गंभीर घटना मानकर चल रहा है।
महिला आयोग की यह पहल पीड़िता और पत्रकार समुदाय के लिए बड़ी राहत है, क्योंकि राज्य स्तर पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई थी।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने भी दर्ज किया केस

सुनीता पांडे की शिकायत को NHRC ने भी प्राथमिकता पर दर्ज कर लिया है।
केस नंबर – 602/33/14/2025 (शिकायत की पुष्टि का स्क्रीनशॉट उपलब्ध)
यह बताता है कि राष्ट्रीय स्तर पर इस मामले को मानवाधिकार के उल्लंघन की दृष्टि से गंभीर रूप से लिया गया है—विशेषकर क्योंकि:
- आधी रात बिना वारंट कार्रवाई की गई
- घर में केवल महिलाएँ थीं
- पुलिस दल में कोई महिला पुलिसकर्मी मौजूद नहीं थी
- दरवाज़े का ताला तोड़कर प्रवेश किया गया
- परिवार की महिलाओं के साथ कथित अभद्रता हुई
ऐसी परिस्थितियाँ NHRC के मानकों के अनुसार स्पष्ट मानवाधिकार उल्लंघन की श्रेणी में आती हैं, इसलिए आयोग का हस्तक्षेप अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
राज्य प्रशासन की चुप्पी से पत्रकार समाज में बढ़ा रोष
घटना को एक महीना बीत चुका है, लेकिन: न तो अधिकारी संजीव तिवारी के खिलाफ कोई कार्रवाई हुई, न ही पुलिस टीम के खिलाफ जाँच का कोई संकेत
न ही पीड़ितों की सुरक्षा सुनिश्चित की गई।
पत्रकार जगत का मानना है कि प्रशासनिक “दबाव” और “प्रतिशोध” की आशंका इस पूरे घटनाक्रम को और चिंताजनक बनाती है।
प्रदेश के कई पत्रकार संगठनों का कहना है:
“पत्रकारों को डराना, धमकाना और परिवारों पर दमनात्मक कार्रवाई लोकतंत्र के खिलाफ है। अगर राज्य सरकार चुप रही तो यह खतरनाक उदाहरण बन जाएगा।”
महिला और मानवाधिकार आयोग की संयुक्त कवायद – पीड़ितों के लिए उम्मीद की किरण
दोनों राष्ट्रीय संस्थाओं की ओर से संज्ञान लेने के बाद अब प्रशासन पर दबाव बढ़ना तय है।
इन दोनों आयोगों का हस्तक्षेप महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि:
- यह मामला महिलाओं के साथ पुलिस की कथित अभद्रता और डराने-धमकाने से जुड़ा है
महिला आयोग ने इसे महिला सुरक्षा के उल्लंघन की श्रेणी में माना है। - घर में बिना वारंट घुसपैठ मानवाधिकार का गंभीर उल्लंघन है
NHRC इस विषय पर बेहद सख्त मापदंड रखता है। - पत्रकारिता पर हमला लोकतंत्र पर हमला है
दोनों आयोगों की कार्यवाही अब इस मामले को राष्ट्रीय स्तर पर गंभीरता से उठा रही है।
अब क्या हो सकता है आगे?
- रायपुर एसएसपी को 30 दिनों में विस्तृत रिपोर्ट देना अनिवार्य
रिपोर्ट न देने पर NCW आगे की कार्रवाई कर सकता है—जिसमें सम्मन, सुनवाई या सख्त निर्देश शामिल हो सकते हैं। - NHRC की टीम प्राथमिक जाँच शुरू करेगी
इसके बाद राज्य सरकार को भी जवाब देना पड़ेगा। - पीड़ित परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित करने की सिफारिश
दोनों आयोग आवश्यक होने पर सुरक्षा व्यवस्था भी निर्देशित कर सकते हैं। - संजीव तिवारी और पुलिस टीम पर प्रारंभिक अनुशासनात्मक कार्यवाही की संभावना
पत्रकार समाज की माँग है कि जाँच पूरी होने तक उन्हें निलंबित किया जाए।






