spiritual
Tourism 2024 Tirupati Balaji : तिरूपति बालाजी मंदिर कैसे जाये ?
अगर आप भी तिरुपति बालाजी मंदिर जाने मन बना रहें है तो आपको पता होना चाहिए तिरूपति बालाजी मंदिर कहा है? तिरुपति वेंकटेश्वर मन्दिर एक हिंदू मंदिर है जो भारत के आंध्र प्रदेश के तिरुपति जिले के पहाड़ी शहर तिरुमला में स्थित है । Tourism 2024 Tirupati Balaji :यह मंदिर विष्णु के एक रूप वेंकटेश्वर को समर्पित है, जिनके बारे में माना जाता है कि वे मानव जाति को कलियुग की परीक्षाओं और परेशानियों से बचाने के लिए पृथ्वी पर प्रकट हुए थे। इसलिए इस स्थान का नाम कलियुग वैकुंठ भी पड़ा है और यहां के देवता को कलियुग प्रत्यक्ष दैवम कहा जाता है। इस मंदिर को तिरुमाला मंदिर, तिरुपती मंदिर और तिरूपति बालाजी मंदिर जैसे अन्य नामों से भी जाना जाता है। वेंकटेश्वर को कई अन्य नामों से जाना जाता है बालाजी, गोविंदा और श्रीनिवास। मंदिर तिरुमला तिरुपती देवस्थानम (टीटीडी) द्वारा चलाया जाता है, जो आंध्र प्रदेश सरकार के नियंत्रण में है। टीटीडी के प्रमुख की नियुक्ति आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा की जाती है। तमिल के शुरुआती साहित्य में से एक संगम साहित्य में तिरुपति को त्रिवेंगदम कहा गया है। Tourism 2024 Tirupati Balaji : तिरुपति के इतिहास को लेकर इतिहासकारों में मतभेद हैं। लेकिन यह स्पष्ट है कि 5वीं शताब्दी तक यह एक प्रमुख धार्मिक केंद्र के रूप में स्थापित हो चुका था। कहा जाता है कि चोल, होयसल और विजयनगर के राजाओं का आर्थिक रूप से इस मंदिर के निर्माण में खास योगदान था। कहा जाता है कि हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान वेंकटेश्वर मानवता को 'कलियुग' की कठिनाइयों और क्लेशों से मुक्ति दिलाने के लिए पृथ्वी पर अवतरित हुए थे। Tourism 2024 Tirupati Balaji :तिरूपति बालाजी मंदिर का इतिहास: माना जाता है कि इस मंदिर का इतिहास 9वीं शताब्दी से प्रारंभ होता है, जब काँचीपुरम के शासक वंश पल्लवों ने इस स्थान पर अपना आधिपत्य स्थापित किया था, परंतु 15 सदी के विजयनगर वंश के शासन के पश्चात भी इस मंदिर की ख्याति सीमित रही। 15 सदी के पश्चात इस मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक फैलनी शुरू हो गई। 1843 से 1933 ई. तक अंग्रेजों के शासन के अंतर्गत इस मंदिर का प्रबंधन हातीरामजी मठ के महंत ने संभाला। हैदराबाद के मठ का भी दान रहा है। 1933 में इस मंदिर का प्रबंधन मद्रास सरकार ने अपने हाथ में ले लिया और एक स्वतंत्र प्रबंधन समिति 'तिरुमाला-तिरुपति' के हाथ में इस मंदिर का प्रबंधन सौंप दिया। आंध्रप्रदेश के राज्य बनने के पश्चात इस समिति का पुनर्गठन हुआ और एक प्रशासनिक अधिकारी को आंध्रप्रदेश सरकार के प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त किया गया। Tourism 2024 Tirupati Balaji :आश्चर्यजनक तथ्य: 1. मुख्यद्वार के दाएं बालरूप में बालाजी को ठोड़ी से रक्त आया था, उसी समय से बालाजी के ठोड़ी पर चंदन लगाने की प्रथा शुरू हुई। 2. भगवान बालाजी के सिर पर रेशमी केश हैं, और उनमें गुत्थिया नहीं आती और वह हमेशा ताजा रहेते है। 3. मंदिर से 23 किलोमीटर दूर एक गांव है, उस गांव में बाहरी व्यक्ति का प्रवेश निषेध है। वहां पर लोग नियम से रहते हैं। वहीं से लाए गए फूल भगवान को चढ़ाए जाते हैं और वहीं की ही अन्य वस्तुओं को चढाया जाता है जैसे- दूध, घी, माखन आदि। 4. भगवान बालाजी गर्भगृह के मध्य भाग में खड़े दिखते हैं लेकिन, वे दाई तरफ के कोने में खड़े हैं बाहर से देखने पर ऎसा लगता है। 5. बालाजी को प्रतिदिन नीचे धोती और उपर साड़ी से सजाया जाता है। Tourism 2024 Tirupati Balaji : ट्रेन से: तिरूपति बालाजी पहुंचने का सबसे आसान और सीधा रास्ता ट्रेन है। तिरुमाला तिरूपति देवस्थान, तिरूपति रेलवे स्टेशन से केवल 20 किमी दूर है। आपको तिरूपति बालाजी रेलवे स्टेशन के लिए ट्रेन पकड़नी होगी। रेलवे स्टेशन से लगभग केवल 5 मिनट की दूरी पर। पैदल दूरी पर आपको बस स्टॉप मिलेगा। यहां से आपको तिरुमाला के लिए बसें आसानी से मिल जाएंगी। Tourism 2024 Tirupati Balaji : हवाईजहाज से : आंध्र प्रदेश के रेनिगुंटा में स्थित तिरूपति अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, तिरूपति बालाजी रेलवे स्टेशन से निकटतम हवाई अड्डा है। यह तिरुमाला से लगभग 40-45 किमी दूर और तिरूपति बालाजी रेलवे स्टेशन से 20 किमी दूर है। हवाई अड्डे से आप तिरुमाला देवस्थान के लिए कैब ले सकते हैं। Tourism 2024 Tirupati Balaji :रहने की व्यवस्था तिरुमाला में मंदिर के आसपास रहने की काफी अच्छी व्यवस्था है। विभिन्न श्रेणियों के होटल व धर्मशाला यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं। इनकी पहले से बुकिंग टीटीडी के केंद्रीय कार्यालय से कराई जा सकती है। यह केन्द्रीय कार्यालय सुबह ६ बजे खुलता है। कमरे की बुकिंग के लिए लंबी लाइनें लगती हैं। सामान्यतः पूर्व बुकिंग के लिए अग्रिम धनराशि के साथ एक पत्र व सौ रुपए का एक ड्राफ्ट यहाँ पर भेजना पड़ता है। टीटीडी के स्वामित्व वाले भवनों में रहने की व्यवस्था केवल २४ घंटे के लिए दी जाती है।