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शरद पूर्णिमा की कुछ खास बातें..

घर-घर का भ्रमण करेंगी मां लक्ष्मी और भगवान कृष्ण बनाएंगे महारास, शरद पूर्णिमा की 5 बातें

Published By- Komal Sen

इस बार कार्तिक मास की शुरुआत 10 अक्टूबर से हो रही है और उससे पहले रविवार यानी 9 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा सभी पूर्णिमाओं में सबसे खास मानी जाती है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, शरद पूर्णिमा आश्विन महीने के कृष्ण पक्ष की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। शरद पूर्णिमा बेहद खास होती है। इस दिन चंद्रमा की चांदनी पृथ्वी पर अमृत के समान होती है और चंद्रमा पृथ्वी के काफी करीब आ जाता है, जिससे चंद्रमा का आकार बहुत बड़ा दिखाई देता है। इसके अलावा शरद पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है। शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व है। आइए जानते हैं शरद पूर्णिमा से जुड़ी कुछ खास बातें…

1– हर साल आश्विन मास की पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, दरअसल इस तिथि को देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण कर सबके घर में प्रवेश करती हैं और देखती हैं कि कौन जाग रहा है। जो लोग इस पूर्णिमा पर माता लक्ष्मी की पूजा और मंत्रों का जाप करते हुए भगवान विष्णु से मिलते हैं, देवी लक्ष्मी उनसे प्रसन्न होती हैं और वहां निवास करने लगती हैं।

2– शरद पूर्णिमा के दिन खुले आसमान के नीचे चांद की रोशनी में खीर रखने की परंपरा है. मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की रोशनी औषधीय गुणों से भरपूर होती है और खीर पर पड़ने पर यह औषधीय गुणों से भरपूर होती है।

3– शरद पूर्णिमा की ठंडी चांदनी में खीर रखने का विधान है, खीर में दूध, चीनी और चावल का कारक चंद्रमा भी होता है, इसलिए इनमें चंद्रमा का प्रभाव सबसे अधिक रहता है. जब चंद्रमा की किरणें 3-4 घंटे तक खीर पर पड़ती हैं तो यह खीर अमृत के समान हो जाती है, जिसे प्रसाद के रूप में लेने से व्यक्ति वर्ष भर स्वस्थ रहता है।

4– शरद पूर्णिमा को कुमार पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता के अनुसार, शरद पूर्णिमा के दिन भगवान कृष्ण सभी गोपियों के साथ वृंदावन में महारास लीला करते हैं। इसी वजह से वृंदावन में शरद पूर्णिमा पर विशेष आयोजन होते हैं। इसलिए इस महीने की पूर्णिमा का महत्व और भी बढ़ जाता है।

5– पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन देवी लक्ष्मी का जन्म हुआ था, इसीलिए देश के कई हिस्सों में शरद पूर्णिमा के दिन देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है.

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