वैज्ञानिको की दो टीम पहुंची केदारनाथ
पहाड़ की चोटी पर पिघल रहा ग्लेशियर बना जीवन का दुश्मन, केदारनाथ पहुंची वैज्ञानिकों की दो टीम
Published By- Komal Sen
पहाड़ों पर हिमस्खलन की घटनाएं चिंता का विषय बन गई हैं। अक्टूबर महीने की शुरुआत के बाद से पिछले चार दिनों यानी 96 घंटे में हिमस्खलन की तीन घटनाएं हो चुकी हैं. इस साल भी इससे पहले हिमस्खलन हो चुका है। पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि हिमालय में ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। पहाड़ों पर बर्फ के बढ़ते कहर का अध्ययन करने के लिए दो वैज्ञानिकों का दल केदारनाथ गया है।
पहाड़ों पर बर्फ की भयावह आवाजाही
- केदारनाथ की ऊंची चोटियां शनिवार, 1 अक्टूबर को हिमस्खलन से हिल गईं। केदारनाथ धाम के पास चोराबाड़ी ग्लेशियर पर सुबह 5.30 से 6 बजे के बीच हिमस्खलन हुआ। इससे पहले 23 सितंबर को भी हिमस्खलन की घटना हुई थी।
- नेपाल में मनासलू बेस कैंप के पास रविवार 2 अक्टूबर को भारी हिमस्खलन हुआ था. इसमें कई टेंट नष्ट हो गए। इससे पहले पिछले महीने भी यहां भीषण हिमस्खलन हुआ था, जिसमें दो लोगों की जान चली गई थी।
- उत्तराखंड के उत्तरकाशी में द्रौपदी की डंडा चोटी (5771 मीटर) पर मंगलवार को आया हिमस्खलन मुसीबत बन गया। बर्फीले तूफान में फंसने से कई पर्वतारोहियों की मौत हो चुकी है। बचाव कार्य अभी भी जारी है।
हिमस्खलन क्या है?
हिमस्खलन को बर्फीला तूफान भी कहा जाता है। हिमालय के ऊंचे इलाकों में हिमस्खलन आम बात है, लेकिन बर्फीले तूफान तब और खतरनाक हो जाते हैं जब ऊंची चोटियों पर ज्यादा बर्फ जमा हो जाती है। बढ़ते दबाव के साथ ये परतें तेज धारा के साथ नीचे आने लगती हैं। उनके रास्ते में आने वाली हर चीज नष्ट हो जाती है। इसका मुख्य कारण मानव गतिविधि, जलवायु परिवर्तन, शोर और भारी बर्फबारी है।
बर्फीले तूफान में बचाव के उपाय
बर्फीले तूफान से बचने के लिए ऐसे ढलानों से बचें जहां बर्फ के खिसकने का खतरा हो। इसके अलावा एक हथौड़ा, रस्सी, सुरक्षा संबंधी सामान अपने पास रखें। यह भी बता दें कि भारी बारिश के कारण पहाड़ों में भूस्खलन की संभावना भी बढ़ गई है। उत्तराखंड में भी भारी बारिश का अलर्ट जारी किया गया है। ऐसे में खतरनाक इलाकों में यात्रा करने से बचना चाहिए।