क्या नागा साधु भी आ सकते है कॉलेज ?
सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी सरकारी स्कूलों में यूनिफॉर्म की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है. बेंच ने कहा कि यह ऐसा मामला नहीं है जिस पर कोर्ट में कोई फैसला लिया जाए।

Published By- Komal Sen
सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी सरकारी स्कूलों में यूनिफॉर्म की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है. जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच ने कहा कि यह कोई ऐसा मामला नहीं है जिसे कोर्ट में लाया जाए। लेकिन याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि अदालत को इस मामले पर विचार करना चाहिए क्योंकि यह एक संवैधानिक मुद्दा है और अलग पोशाक का होना शिक्षा के अधिकार अधिनियम के विपरीत है।
हालांकि, अदालत ने उनकी दलीलों को खारिज कर दिया और कहा कि यह फैसला अदालत को नहीं करना है। इसके बाद याचिकाकर्ता ने कोर्ट से अनुमति लेकर आवेदन वापस ले लिया। याचिकाकर्ता निखिल उपाध्याय ने कहा कि सामान्य पोशाक को लागू करने से सामाजिक एकता और समानता दिखाई देगी। स्कूलों और कॉलेजों में हिजाब को लेकर चल रहे विवाद के मद्देनजर यह अर्जी दाखिल की गई थी। इस बारे में याचिका में कहा गया, ‘शैक्षणिक संस्थान धर्मनिरपेक्ष चरित्र के होते हैं। यहां ज्ञान, रोजगार की शिक्षा दी जाती है और लोगों को तैयार किया जाता है ताकि वे राष्ट्र निर्माण में योगदान दे सकें।

याचिकाकर्ता ने कहा कि शिक्षण संस्थानों में धर्मों की आवश्यक या गैर-जरूरी परंपराओं का पालन करने का कोई मतलब नहीं है। इसलिए जरूरी है कि सभी स्कूलों और कॉलेजों में एक समान ड्रेस कोड लागू किया जाए। इतना ही नहीं याचिकाकर्ता ने दिलचस्प दलील देते हुए कहा कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो कल एक नागा साधु भी कॉलेज में प्रवेश ले सकता है और बिना कपड़ों के क्लास अटेंड करने पहुंच जाएगा. वह कहेगा कि यह उसका आवश्यक धार्मिक कर्तव्य है। याचिकाकर्ता ने कहा कि समान ड्रेस कोड के कारण किसी भी धर्म, जाति और क्षेत्र के लोगों को समानता का अनुभव होगा।