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सुप्रीम कोर्ट ने PMLA वैधता को रखा बरकरार

सुप्रीम कोर्ट ने PMLA के विभिन्न पहलुओं की वैधता को बरकरार रखा

PUBLISHED BY : Vanshika Pandey

सुप्रीम कोर्ट ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के विभिन्न प्रावधानों की वैधता को बरकरार रखा है। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के कई प्रावधानों की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में पीएमएलए के तहत जांच, गवाहों को समन, गिरफ्तारी, जब्ती और जमानत की प्रक्रिया करने के प्रवर्तन निदेशालय के अधिकार को बरकरार रखा है। हालांकि पहले कहा जा रहा था कि सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले में ईडी की सीमा तय कर सकता है.

240 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश


मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की शक्तियों और धन शोधन निवारण अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा है कि ईडी को गिरफ्तारी का अधिकार है. अदालत ने माना कि मनी लॉन्ड्रिंग एक स्वतंत्र अपराध है। ऐसे में मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट में कोई खामी नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने ईडी और पीएमएलए को लेकर दायर 240 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया. कोर्ट ने कहा कि 2018 में मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट में किए गए बदलाव सही हैं। इतना ही नहीं, कोर्ट ने कहा कि एजेंसी की ओर से गिरफ्तारी करने और आरोपियों से पूछताछ करने में कुछ भी गलत नहीं है.

ईडी की शिकायत की कॉपी आरोपी को देना जरूरी नहीं है।


याचिकाकर्ताओं की एक और मांग पर कोर्ट ने कहा कि अगर ईडी ने शिकायत दर्ज की है तो उसकी कॉपी आरोपी को देना जरूरी नहीं है. इसके अलावा सीबीआई या किसी अन्य एजेंसी द्वारा बंद किए गए मामले की भी ईडी अपने हाथ में लेकर जांच कर सकती है। इसके अलावा कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून में मनी बिल के तहत बदलाव करने के सवाल को 7 जजों की बेंच के सामने भेजने का फैसला किया है. दायर याचिकाओं में ईडी द्वारा छापेमारी करने, अधिकारियों को गिरफ्तार करने, संपत्ति की जब्ती और जमानत की कठिन शर्तों पर विचार करने की अपील थी।

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