गरियाबंद । राजिम के ऐतिहासिक माघ पूर्णिमा से महाशिवरात्रि तक लगने वाला राजिम कुंभ कल्प मेला पूरे विश्व प्रसिद्ध है। राजिम की भव्यता लक्ष्मण झूले के कारण और अधिक बढ़ गई है। राजिम के दो प्रसिद्ध मंदिरो का जोड़ने वाला लक्ष्मण झूला यहां कुंभ कल्प में आने वाले दर्शनार्थियों के लिए थकान भरे पल में सुकुन भरी छाया दे रही है।
जिससे भगवान श्री राजीव लोचन एवं श्री कुलेश्वर महादेव मंदिर तक जाने के लिए सुविधा भी मिली है। पहले श्रद्धालु रेत पर चलकर एक छोर से दूसरे छोर तक जाते थे। भीड़ अधिक होने के कारण उन्हें काफी परेशानियों को सामना करना पड़ता था, लेकिन लक्ष्मण झूला बनने के कारण एक छोर से दूसरे छोर पहुंचने में काफी आसानी हो रही है।
वैसे लक्ष्मण झूला से राजिम की एक अलग पहचान बन गई है। झूला लम्बाई राजिम से कुलेश्वर तक लगभग पांच सौ मीटर तथा लोमश ऋषि आश्रम से कुलेश्वर तक लगभग डेढ़ सौ मीटर बनाया गया है। यह झूला ऋषिकेश और हरिद्वार के तर्ज पर बनाया गया है।
वर्तमान में राजिम कुंभ कल्प मेला का आयोजन हो रही है। मेला में बड़ी संख्या में लोग घुमने आ रहे हैं। मेला के चारों ओर लाइट डकोरेट से सजाया गया है। लक्ष्मण झूला में भी लाइट से डेकोरेट किया गया है, जो अंधेरी रात में जुगनू बन चमकती है और पूरे नदी परिसर को अपनी चमक से आलोकित करती है। लक्ष्मण झूला में आने-जाने में वे बेहद आनंदित हो रहे है।
बरसात के दिनों आसानी से होते हैं भोलेनाथ के दर्शन
त्रिवेणी संगम बीच स्थित भगवान श्री कुलेश्वर नाथ महादेव मंदिर ख्याति प्राप्त है। सावन के महीने में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रही है। वहीं बरसात में तीन नदियों को संगम के कारण पानी ज्यादा हो जाता है। जिसके कारण मंदिर में पहुंचना संभव नहीं हो पाता। इसे देखते हुए लक्ष्मण झूले का निर्माण कराया जा रहा है। श्रद्धालु और कंवर यात्रा वाले बरसात के दिनों में भी आसानी से दर्शन करने को मिलता है। बरसात में हवा में झूलते पुल के नीचे कल कल बहती नदियां लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है।