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Chhattisgarh Prayag : छत्तीसगढ़ का प्रयाग

छत्तीसगढ़ के ‘प्रयाग’ में तीन नदियों के संगम के साथ राजीव लोचन मंदिर आस्था का प्रमुख केंद्र है। आसपास के क्षेत्र में मंदिरों की शृंखला है जिसमें जांजगीर-चांपा का शिवरी नारायण मंदिर, कबीरधाम का भोरमदेव मंदिर, बस्तर की दंतेश्वरी शक्तिपीठ और बलौदाबाजार जिले में सतनामी समाज के गुरु बाबा घासीदास के जन्मस्थान गिरौदपुरी धाम के दर्शन कर पुण्य अर्जित कर सकते हैं। 

Chhattisgarh Prayag : संगम के मध्य में कुलेश्वर महादेव

राजीव लोचन मंदिर गरियाबंद जिले में महानदी के किनारे पर स्थित है। यहां महानदी से पैरी ओर सोंढ़ूर नाम की इसकी सहायक नदियां मिलती हैं। इसी कारण इसे छत्तीसगढ़ का ‘प्रयाग’ कहा जाता है। यह मंदिर राजधानी रायपुर से 45 किमी की दूरी पर स्थित है। इस स्थान को पवित्र और प्रात: स्मरणीय बनाता है, यहां स्थापित राजीव लोचन मंदिर। इसके गर्भगृह में सकल जग के स्वामी श्री हरि विष्णु विराजते हैं। संगम के मध्य में कुलेश्वर महादेव का विशाल मंदिर स्थित है।

Chhattisgarh Prayag : माघ पूर्णिमा से लेकर महाशिवरात्रि तक लगता है विशाल मेला

कहा जाता है कि वनवास काल में श्रीराम ने इस स्थान पर अपने ईष्ट महादेव व कुल देवता सूर्यदेव की पूजा की थी। इस स्थान का प्राचीन नाम कमलक्षेत्र है। मान्यता है कि सृष्टि के आरंभ में भगवान विष्णु की नाभि से निकला कमल यहीं पर स्थित था और ब्रह्मा जी ने यहीं से सृष्टि की रचना की थी। इसीलिए इसका नाम कमलक्षेत्र पड़ा। संगम में अस्थि विसर्जन तथा किनारे पिंडदान, श्राद्ध एवं तर्पण किया जाता है। प्रतिवर्ष यहां माघ पूर्णिमा से लेकर महाशिवरात्रि तक विशाल मेला लगता है।

Vanshika Pandey

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