PUBLISHED BY – LISHA DHIGE
Navratri 2023 : मां सिद्धिदात्री की कृपा से ही भगवान शिव को 8 सिद्धियां प्राप्त हुई थीं। इन उपलब्धियों में अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व शामिल हैं। इन्हीं मां के कारण ही भगवान शिव का नाम अर्धनारीश्वर पड़ा, क्योंकि सिद्धिदात्री के कारण ही शिव का आधा शरीर देवी बना था।
हिमाचल का नंदा पर्वत उनका प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। मान्यता है कि जिस प्रकार भगवान शिव ने इस देवी की कृपा से आठ सिद्धियों को प्राप्त किया था, उसी प्रकार इनकी उपासना से अष्ट सिद्धि और नव निधि, ज्ञान और विवेक की प्राप्ति होती है।
मां सिद्धिदात्री का रूप
चार भुजाओं वाली मां सिद्धिदात्री लाल साड़ी में कमल पर विराजमान हैं। चारों हाथों में सुदर्शन चक्र, शंख, गदा और कमल धारण किए हुए हैं। सिर पर ऊंचा मुकुट और चेहरे पर कोमल मुस्कान ही मां सिद्धिदात्री की पहचान है।
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कैसे करें सिद्धिदात्री की पूजा
घी का दीपक जलाने के साथ ही मां सिद्धिदात्री को कमल का फूल अर्पित करना शुभ माना जाता है। साथ ही आप जो भी फल या अन्न मां को अर्पित करें उसे लाल कपड़े में लपेट दें। गरीबों को भोजन कराने के बाद ही भोजन करें।
मां सिद्धिदात्री का भोग क्या है?
माना जाता है कि मां सिद्धिदात्री को मौसमी फल, चना, पूरी, खीर, नारियल और हलवा प्रिय है। माना जाता है कि नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री को ये चीजें चढ़ाने से वह प्रसन्न होती हैं।
मां सिद्धिदात्री को कौन सा रंग पसंद है?
नवरात्रि के नौवे दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। मां को बैंगनी या जामुनी रंग बेहद पसंद आता है।
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भोग लगाते समय क्या बोलना चाहिए?
जब भी ईश्वर को भोग लगाये तब इस मंत्र का उच्चारण अवश्य करें। त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये । गृहाण सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर ।।