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Bhedaghat Waterfall : संगमरमर के पहाड़ों के बीच बना ‘धुंआधार’ जलप्रपात

PUBLISHED BY : VANSHIKA PANDEY

भेड़ाघाट भारतीय राज्य मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले का एक कस्बा है। यह जिला मुख्यालय जबलपुर से लगभग 20 किमी दूर नर्मदा नदी के तट पर स्थित है। यह एक पर्यटन स्थल है और यहाँ के प्रमुख आकर्षणों में धुआंधार जलप्रपात, नर्मदा नदी के किनारे संगमरमर की चट्टानें और चौसठ योगिनी मंदिर हैं।

नर्मदा में पवित्र स्नान हिंदू भक्तों के बीच पवित्र माना जाता है। उनका मानना ​​है कि नर्मदा में स्नान करने से पाप से मुक्ति मिलती है और मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। अनेक वैज्ञानिकों ने अनेक विभागों द्वारा यह सिद्ध करने का प्रयास किया है कि नर्मदा सरस्वती की एक धारा मात्र है जो कई मील जमीन में बहने के बाद पुन: कोटितीर्थ में प्रकट होती है। नर्मदा नदी के मार्ग में अनेक नदियों के संगम एवं तीर्थों का निर्माण हुआ है।


प्रकृति के अनुपम सौन्दर्य की भावनाओं का ऐसा सुंदर उपहार ‘भेडाघाट’ का दर्शन और धुआंधार फॉल का अनुभव अविस्मरणीय है। नर्मदा की लहरों के संगीत में स्वयं को गुनगुनाते हुए, विभिन्न स्थानों पर पक्षियों की चहचहाहट से यह राज्य सदियों से अपनी सुंदरता की कहानी कह रहा है। नर्मदा के तट पर बैठकर इस संगमरमर की खान को निरन्तर निहारते रहने और लहरों का मादक संगीत सुनने का मन करता है।

कैसे पहुंचा जाये


जबलपुर शहर रेल, बस और हवाई सेवा द्वारा सभी प्रमुख स्थानों से जुड़ा हुआ है। यहां पहुंचकर भेड़ाघाट और धुआंधार जलप्रपात की यात्रा कार, टैक्सी, बस या अन्य माध्यमों से की जा सकती है।

गोमुख से निकलती है जलधारा


मध्यांचल और सतपुड़ा के बीच ‘अमरकंटक’ नामक ऊँचे पर्वत हैं। यहीं पर सोहागपुर जिले के अमरकंटक गांव के एक तालाब के गोमुख से जलधारा निकलती है। इस कुंड को कोटीकुंड और धारा को नर्मदा कहा जाता है। यह (नर्मदा) अमरकंटक से 332 किलोमीटर दूर है। इसके बाद यह मंडला से होकर गुजरती है। मंडला से आगे नर्मदा का प्रवाह धीमा हो जाता है और इससे आगे मध्य प्रदेश के जबलपुर में नर्मदा नदी की गोद में भेड़ाघाट नामक सुन्दर पहाड़ी स्थान स्थित है।

संगमरमर के पहाड़ों के बीच बना ‘धुंआधार’ जलप्रपात


भेड़ाघाट में संगमरमर के पहाड़ों के बीच बना ‘धुंआधार’ नामक जलप्रपात सर्वाधिक प्रसिद्ध है। इस स्थान पर नर्मदा नदी 30 मीटर की ऊँचाई से गिरती है, मानो ‘धुएँ’ में लिपटी हो और शायद इसी वजह से इसे धुआंधार जलप्रपात भी कहा जाता है। अथाह जल के इस अद्भुत खजाने की तुलना नियाग्रा जलप्रपात से की जा सकती है। सफेद संगमरमर के दूध से धुली हुई चट्टानें, गुलाबी-काली-हरी चट्टानें, नदी की गोद में सूर्य का उदय और अस्त निस्सन्देह मनुष्य के मन को यह बताता है कि प्रकृति इसी प्रकार प्रसन्न होकर अपने गुणों की खान को लूटती रहे। आम जनता। प्रकृति का ऐसा अद्भुत नजारा अतुलनीय है।

नर्मदा का जल इस प्रपात से 2 मील की दूरी तक संगमरमर के पहाड़ों, जिन्हें ‘संगमरमर की चट्टानें’ कहा जाता है, से होकर बहता है। इसी रास्ते में आगे ‘बंदरकुदनी’ नामक स्थान आता है, यहाँ दो पहाड़ इतने पास-पास हैं कि ‘बंदर’ इसे कूदकर पार कर सकते हैं।

कई कहानिया है प्रचलित


भेड़ाघाट को लेकर कई किवदंतियां प्रचलित हैं। एक के अनुसार भेड़ाघाट का नाम ऋषि भृगु के नाम पर पड़ा, जो नर्मदा के तट पर इस स्थान पर रहते थे। इसी प्रकार एक अन्य अवधारणा के अनुसार ‘भेदा’ शब्द का अर्थ ‘मिलन स्थल’ होता है और यहाँ नर्मदा और पवनगंगा की धाराओं के मिलन स्थल के कारण इसका नाम ‘भेदघाट’ पड़ा। कुछ विद्वानों के मत में भेड़ाघाट वास्तव में भैरवी घाट का आधुनिक नाम है क्योंकि इस बात के प्रमाण मिले हैं कि यह स्थान कभी शक्ति धर्म के उपासकों का प्रसिद्ध पूजा स्थल था। पुरातत्वविदों के अनुसार प्राचीन काल में भेड़ाघाट शक्ति धर्म का केंद्र था।

Vanshika Pandey

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