बुलंद छत्तीसगढ़ की खबर का बड़ा असर: जल संसाधन विभाग में चौंकाने वाला खुलासा — अधूरे कामों पर लाखों की सुरक्षा राशि जारी!

- तत्कालीन कार्यपालन अभियंता पर गंभीर लापरवाही के आरोप
- सिद्दीकी द्वारा समयपूर्व भुगतान से शासन को बड़ी वित्तीय हानि

रायपुर। छत्तीसगढ़ जल संसाधन विभाग में वित्तीय अनियमितता का गंभीर मामला उजागर हुआ है। विभागीय अभिलेख और शिकायत पत्र के अनुसार, तत्कालीन कार्यपालन अभियंता सिद्दीकी पर आरोप है कि उन्होंने शृंग कंस्ट्रक्शन द्वारा किए जा रहे कार्यों के पूर्ण होने से पहले ही विभागीय मानकों को दरकिनार करते हुए ₹51,65,444 की अतिरिक्त सुरक्षा निधि (APS) जारी कर दी।
दस्तावेज़ों में स्पष्ट उल्लेख है कि FDR क्रमांक 283205, दिनांक 2 जून 2023 के तहत जमा सुरक्षा राशि जारी करना विभागीय कोड और अनुबंध शर्तों का उल्लंघन है। विभागीय पत्र में यह भी दर्ज है कि यह राशि कार्य पूर्णता से पूर्व जारी की गई, जबकि नियमों के अनुसार सुरक्षा निधि तभी लौटाई जा सकती है जब कार्य संतोषजनक रूप से पूरा हो जाए और विभागीय जांच इसे प्रमाणित करे।
अधूरे काम के बाद भी जारी हुआ रनिंग बिल, बढ़ी शंका
सूत्रों और शिकायतकर्ताओं के अनुसार, APS राशि जारी करने के तुरंत बाद संबंधित ठेकेदार का रनिंग बिल भी स्वीकृत कर भुगतान कर दिया गया।
विभागीय पत्र में कहा गया है कि यदि कार्य अपूर्ण था, तो न तो सुरक्षा राशि जारी की जा सकती थी और न ही भुगतान, क्योंकि दोनों प्रक्रियाएँ स्पष्ट रूप से विभागीय वित्तीय सुरक्षा को प्रभावित करती हैं।
पत्र में यह भी दर्ज है कि सुरक्षा राशि समयपूर्व जारी करने से शासन को आर्थिक हानि की संभावना बढ़ती है और यह सीधे-सीधे विभागीय हितों और वित्तीय संरक्षण के विरुद्ध है।
विभागीय रिपोर्ट में दर्ज- “स्पष्ट व्यावहारिक त्रुटि एवं अनियमितता”
संलग्न दस्तावेज़ में इस प्रकरण को गंभीर वित्तीय अनियमितता, अनुशासनहीनता और उच्च स्तरीय जांच योग्य मामला कहा गया है।
पत्र में यह भी उल्लेख है कि यह कृत्य छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियमों के विरुद्ध है और विभागीय कोष पर सीधा प्रभाव डालता है।
शासन स्तर पर कार्रवाई की मांग तेज
बुलंद छत्तीसगढ़ द्वारा विभागीय उच्च अधिकारियों से की गई शिकायत के बाद इस पूरे प्रकरण को लेकर अब विभागीय कर्मचारी, शिकायतकर्ता और सामाजिक संगठन उच्च स्तरीय जांच की मांग कर रहे हैं।
उनका कहना है कि यदि ऐसे मामलों पर कड़ी कार्रवाई नहीं हुई तो विभाग में वित्तीय अनियमितताओं पर रोक लगाना मुश्किल हो जाएगा और गलत मिसाल स्थापित होगी।
विभागीय दस्तावेज़ में भी स्पष्ट रूप से कहा गया है कि संबंधित अधिकारी, कर्मचारियों एवं ठेकेदार की भूमिका की उच्च स्तरीय जांच आवश्यक है ताकि विभागीय धन की सुरक्षा और अनुबंध प्रक्रिया की पारदर्शिता बनी रहे।







