रायपुर । कोयला लेवी वसूली के मामले में आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) की टीम ने कोरबा के कोल कारोबारी दो भाई हेमंत और चन्द्रप्रकाश जायसवाल ऊर्फ संजय को रिमांड के बाद आज 20 जून को कोर्ट में पेश करेगी। दोनों से पूछताछ के बाद पांच अन्य आरोपितों को गिरफ्तार कर रिमांड में लिया गया है। सभी को आमने-सामने बैठाकर पूछताछ की जा रही है। ईओडब्ल्यू दाेनों की रिमांड बढ़ाने की तैयारी में है।
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में कोल परिवहन के नाम पर 540 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया था। कोल परिवहन के नाम पर हुए अवैध कोल लेवी मामले में ईडी ने पहले ही कोरबा की पूर्व कलेक्टर रानू साहू समेत कुछ आइएएस अफसरों के साथ ही पूर्व सीएम की उप-सचिव सौम्या चौरसिया और कोयला कारोबारियों को गिरफ्तार कर चुकी है। वर्तमान में कोल लेवी घोटाले की जांच ईओडब्लू कर रही है। ईओडब्ल्यू की टीम ने जांच को बढ़ाते हुए इस अवैध वसूली के मामले में लिप्त आरोपियों की गिरफ्तारी शुरू कर दी है। 13 जून को टीम ने बिलासपुर से कोयला कारोबारी हेमंत जायसवाल और कोरबा निवासी उसके भाई चंद्रप्रकाश जायसवाल को गिरफ्तार किया था। दोनों आरोपित कोल लेवी के पैसों का कलेक्शन करते थे।
आरोपित का संबंध सूर्यकांत तिवारी से
आरोपित हेमंत जायसवाल का संबंध कोल लेवी के मुख्य आरोपित सूर्यकांत तिवारी से है। जिसके माध्यम से ही 25 रुपये प्रति टन की दर से कोयला लेवी वसूली की जाती थी। खदान से निकलने वाले लिकेंज व रोड सेल के कोयला के लिए खनिज विभाग से ट्रांजिट पास जारी किया जाता था। यह पास तब तक नहीं दिया जाता था, जब तक राशि जमा नहीं हो जाती थी।
सूर्यकांत की टीम राशि मिलने की सूचना देती थी, तब पास संबंधित कंपनियों को प्रदान किया जाता था। जांच के दौरान इस मामले में तत्कालीन खनिज अधिकारी एसएस नाग की भूमिका सामने आने पर उन्हें भी गिरफ्तार किया गया था।
100 करोड़ से खरीदे थे कोल वाशरी
जांच के दौरान यह तथ्य सामने आया है कि अवैध रूप से वसूली की 100 करोड़ रुपये का निवेश कोरबा- चांपा मार्ग में स्थित एक कोल वाशरी खरीदने के लिए किया गया था। सूर्यकांत तिवारी के भाई रजनीकांत व हेमंत जायसवाल के नाम पर यह वाशरी खरीदी गई और तत्कालीन कलेक्टर रानू साहू ने रातो रात इसकी रजिस्ट्री कराई थी।