PUBLISHED BY : Vanshika Pandey
आज सावन शिवरात्रि का पर्व है। सावन के महीने में भगवान शिव के जलाभिषेक का विशेष महत्व है। जिसमें से सावन सोमवार और सावन शिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करने का विशेष महत्व है। इस साल सावन मास की शिवरात्रि 26 जुलाई 2022 मंगलवार को मनाई जाएगी। हिंदू पंचांग में हर साल 12 शिवरात्रि आती हैं, लेकिन इनमें से दो शिवरात्रि को विशेष महत्व दिया जाता है। इनमें से सबसे प्रमुख फाल्गुन मास की शिवरात्रि मानी जाती है, जिसे महाशिवरात्रि भी कहा जाता है। इसके अलावा दूसरी महत्वपूर्ण शिवरात्रि सावन की मानी जाती है। इस दिन विधि विधान से भगवान शिव की पूजा की जाती है। सनातन धर्म में श्रावण मास की महिमा का वर्णन किया गया है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने वाले और पूजा-अर्चना करने वाले भक्तों पर महादेव प्रसन्न होते हैं और उन्हें उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है। लोगों पर भगवान शिव की कृपा बनी रहती है, इनके जीवन में कभी भी सुख-समृद्धि की कमी नहीं होती है। श्रावण मास में कब होती है शिवरात्रि की पूजा और क्या है इसका महत्व, आइए जानते हैं…
मासिक शिवरात्रि का महत्व
ऐसा माना जाता है कि मासिक शिवरात्रि का व्रत रखने वाले और सच्चे मन से भगवान शिव की पूजा करने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस दिन व्रत करने से कठिन कार्य आसान हो जाते हैं और व्रत की सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं.
साथ ही जो लड़कियां मनचाहा वर पाने की इच्छा रखती हैं, वे इस व्रत को करने के बाद मनचाहे वर की प्राप्ति करती हैं. विवाह में आ रही बाधाएं भी दूर होती हैं।
सावन शिवरात्रि पूजा विधि
सावन शिवरात्रि के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि करें और फिर व्रत का संकल्प लें। इसके बाद घर में या किसी मंदिर में भगवान शिव की पूजा करें। शिवलिंग का रुद्राभिषेक जल, घी, दूध, चीनी, शहद, दही आदि से करना चाहिए। शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा और श्रीफल चढ़ाएं। धूप, दीपक, फल और फूल आदि से भगवान शिव की पूजा करें। साथ ही शिव की पूजा करते हुए शिव पुराण, शिव स्तुति, शिव अष्टक, शिव चालीसा और शिव श्लोक का पाठ करें। शाम को फल खाएं।