जानिए 700 साल पुराने मंदिर का इतिहास…
( published by – Seema Upadhyay )
वैसे तो इस दुनिया में कई शिव मंदिर है लेकिन आज हम बताने जा रहे है बल्केश्वर महदेव के मंदिर और उसके पीछे छिपे 700 साल पुराने रहस्य को.
बल्केश्वर महादेव मंदिर में शिवलिंग की अद्भुत सजावट की जाती है। यहां शिवलिंग को चंदन और केसर से सजाया गया है। शिवलिंग के श्रृंगार में बहुत आकर्षण होता है, श्रृंगार के बाद भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं। प्रसाद में केसर और चंदन भी दिया जाता है। श्रावण के चारों सोमवार को मेले लगते हैं और दूसरे सोमवार को बाल्केश्वर मंदिर में मेला लगता है। बल्केश्वर मंदिर मेले में चारों शिवालयों की परिक्रमा भी की जाती है। रविवार से परिक्रमा शुरू हो रही है।
कोरोना के दो साल बाद लग रहा मेला, सावन के दूसरे सोमवार को लगेगा मेला और रविवार से परिक्रमा शुरू होगी. मंदिर का मानना है कि अगर कोई भक्त लगातार 40 दिनों तक मंदिर में आता है और उसकी पूजा करता है, तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।
जानिये क्या थी बल्केश्वर महादेव क 700 साल पुराना इतिहास?
मंदिर का इतिहास 700 साल पुराना बताया जाता है। कोरोना के दो साल में यहां मेला नहीं लगा। इस बार मेला लग रहा है। मेला रविवार शाम से शुरू होगा। बल्केश्वर मंदिर है, कभी बिल्वपत्रों का घना जंगल था, जंगल के किनारे से यमुना बह रही थी। जंगल काटा गया, जंगल से बेल के पत्ते काटे गए। जंगल काटने के दौरान प्रकट हुआ शिवलिंग, शुरू हुई शिवलिंग की पूजा इसके बाद मंदिर का निर्माण हुआ, वहां बिल्वपत्रों के जंगल थे, इसलिए मंदिर का नाम बल्केश्वर महादेव पड़ा। बल्केश्वर मंदिर यमुना के तट पर होने के कारण बहुत प्रसिद्ध है।
आगरा में सावन के दूसरे सोमवार को बल्केश्वर महादेव मंदिर में आस्था का मेला लगेगा. इसमें शिव भक्ति का प्रवाह होगा। इस दिन हजारों श्रद्धालु बल्केश्वर महादेव मंदिर से आगरा की परिक्रमा करेंगे। आपको बता दें कि श्रावण मास के दूसरे सोमवार को शहर के पूर्वी छोर पर स्थित बल्केश्वर महादेव मंदिर में मेले का आयोजन होता है.