रायपुर । उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कुछ दिन पहले नक्सलियों से वार्ता करने की बात रखी थी। लेकिन नक्सलियों ने इस वार्ता प्रस्ताव को बेईमानी, दमन और धोखा कहा था। इसके बाद नक्सलियों ने सरकार से बातचीत के लिए शर्त रखते हुए पर्चा जारी किया है। ज्ञातव्य है कि बस्तर में हिंसा खत्म करने और शांति स्थापित करने के लिए डिप्टी सीएम और गृह मंत्री विजय शर्मा ने नक्सलियों के सामने शांति वार्ता का प्रस्ताव रखा है। उन्होंने वीडियो कॉल के माध्यम से भी नक्सलियों संगठन से जुड़े छत्तीसगढ़ के युवाओं से बात करने की बात कह चुके हैं। डिप्टी सीएम शर्मा हाल ही में बीजापुर के जांगला के दौरे गए थे, तब भी उन्होंने शांति वार्ता की बात दोहराई थी।
डिप्टी सीएम शर्मा के इस प्रस्ताव पर नक्सलियों की दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी ने जवाब भेजा है। बता दें कि नक्सलियों की दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी छत्तीसगढ़ के बस्तर के साथ ही महाराष्ट्र, ओडिशा और तेलंगाना में भी सक्रिय है। इस कमेटी के प्रवक्ता विकल्प के हस्ताक्षर से जारी लिखित बयान में बातचीत के लिए कुछ शर्तें रखी गई हैं।
15 मार्च की तारीख के साथ जारी इस बयान में नक्सल प्रवक्ता ने बातचीत के लिए सरकार के सामने अनुकूल वातावरण बनाने की शर्त रखी है। इसके लिए अलगे 6 महीने तक सरकारी फोर्स को बैरकों में सीमित रखने और नए कैंप नहीं खोलने के साथ ही झूठे मुठभेड़ बंद करने की शर्त रखी है। बता दें कि फरवरी में भी नक्सलियों की तरफ से ऐसा ही एक बयान आया था।
नक्सलियों ने कम की एक शर्त
इससे पहले फरवरी में आए बयान में नक्सलियों ने वार्ता के लिए मुठभेड़ों व क्रॉस फायरिंग के नाम पर झूठी मुठभेड़ों में आदिवासियों की जघन्य हत्याएं बंद करने की मांग की थी। तमाम सशस्त्र बलों को 6 माह के लिए बैरकों (थानों व कैंपों) तक सीमित किया जाए। नए कैंप स्थापित करना बंद किया जाए। राजनीतिक बंदियों को रिहा किया जाए। अभी जारी बयान में राजनीतिक बंदियों को रिहा करने वाली शर्त नहीं रखी गई है। 15 मार्च को जारी बयान में नक्सली प्रवक्ता ने कहा कि यह सर्वविदित है कि अनुकूल वातावरण के बिना कोई वार्ता संभव नहीं हो सकती है। अनुकूल वातावरण के लिए हमने सरकार के सामने कोई बहुत बड़ी मांग या कोई शर्त नहीं रखी। हमने सिर्फ यह सुनिश्चित करने कहा कि मुठभेड़ों व क्रॉस फायरिंग के नाम पर झूठी मुठभेड़ों में आदिवासियों की जघन्य हत्याएं बंद की जाए, तमाम सशस्त्र बलों को 6 माह के लिए बैरकों (थानों व कैंपों) तक सीमित किया जाए एवं नए कैंप स्थापित करना बंद किया जाए।