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वर्ष का पहला नेशनल लोक अदालत : 99 हजार 995 से अधिक मामले निपटाए गए

राजनांदगांव । राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली के तत्वाधान, छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के निर्देशन एवं जिला न्यायाधीश व अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण राजनांदगांव के निर्देशन में आज जिले में नेशनल लोक अदालत का वर्चुअल और भौतिक उपस्थिति मोड में आयोजन किया गया। सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर न्यायालयों में लंबित प्रकरणों के त्वरित निराकरण के लिए राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया है। इसमें सर्वोच्च न्यायालय से लेकर तहसील स्तर तक के न्यायालयों में लोक अदालत आयोजित की गयी।

जिला राजनांदगांव, जिला मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी एवं जिला खैरागढ़-छुईखदान-गण्डई में न्यायालय में लंबित, राजस्व न्यायालय एवं प्री-लिटिगेशन के 1 लाख 1 हजार 192 प्रकरणों को निराकरण के लिए चिन्हित किया गया। शुक्रवार को जिला न्यायाधीश व अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण आलोक कुमार के नेतृव्व में लोक अदालत के आयोजन की सभी तैयारी पूर्ण कर ली गयी थी। नेशनल लोक अदालत आयोजित करने के लिए कुल 44 खंडपीठों का गठन किया गया था। इस लोक अदालत में लगभग 99 हजार 995 मामलों का सफलतापूर्वक निपटान किया गया। निपटान किए गए मामलों में कुल 97051 मामले प्री-लिटिगेशन चरण के थे और 2944 मामले ऐसे थे जो विभिन्न न्यायालयों में लंबित थे, निपटान राशि लगभग 22 करोड़ 47 लाख 96 हजार 768 रूपए थी।

नेशनल लोक अदालत में आपराधिक राजीनामा योग्य मामले, मोटर वाहन दुर्घटना दावा से संबंधित मामले, धारा 138 एनआई एक्ट से संबंधित मामले अर्थात चेक से संबंधित मामले, वैवाहिक विवाद के मामले, श्रम विवाद के मामले, बैंक ऋण वसूली वाद, रूपए वसूली वाद, विद्युत बिल एवं टेलीफोन बिल के मामले, भूमि अधिग्रहण से संबंधित मामले, राजस्व न्यायालय के मामले एवं अन्य राजीनामा योग्य वाद आदि से संबंधित मामलों की सुनवाई की गई।

नेशनल लोक अदालत में न्यायालयों में निराकृत हुए प्रकरणों की सफल कहानियां

राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली द्वारा निर्धारित नेशनल लोक अदालत के अनुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण राजनांदगांव द्वारा जिला राजनांदगांव में आयोजित की गई। नेशनल लोक अदालत के आयोजन अवसर पर न्यायालय प्रथम अपर जिला न्यायाधीश दीपक के. गुप्ता राजनांदगांव के न्यायालय में लंबित व्यवहार वाद प्रकरण, शौर्य टेलीकॉम कम्यूनिकेशन विरूद्ध आहुआ मोबाईल्स इंडिया प्रायवेट लिमिटेड कंपनियों के मामलें जो कि विगत 6 वर्षों से 34 लाख 43 हजार 560 रूपए के लेेन-देन हेतु लंबित था। मामले को राजीनामा के आधार पर निराकरण की संभावना को देखते हुए प्रकरण आज नेशनल लोक अदालत में रखा गया। नेशनल लोक अदालत में न्यायालय के न्यायाधीश दीपक के. गुप्ता द्वारा दोनों पक्षों को समझाईश दिये जाने पर उभयपक्ष अपने मामलों को आपसी समझौते के आधार पर निराकरण हेतु सहमत हुए तथा उनके मामले का निराकरण नेशनल लोक अदालत के माध्यम से किया गया। प्रकरण में दावा में प्रस्तुत न्यायालय शुल्क जिसमें वादी पक्ष द्वारा प्रस्तुत न्यायालय शुल्क 1 लाख 63 रूपए 107 रूपए एवं प्रतिवादी द्वारा प्रस्तुत न्यायालय शुल्क 54 हजार रूपए का कोषालय से वापसी हेतु न्यायालय द्वारा प्रमाण-पत्र भी प्रदान किया गया।

नेशनल लोक अदालत में पति-पत्नी के मामलें का हुआ निराकरण :

राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली द्वारा निर्धारित नेशनल लोक अदालत के अनुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा राजनांदगांव द्वारा जिला राजनांदगांव में आयोजित की गई नेशनल लोक अदालत के आयोजन अवसर पर न्यायालय कुटुम्ब न्यायालय राजनांदगांव में लंबित व्यवहार वाद संरक्षक एवं प्रतिपालय अधिनियम के प्रकरण को आज नेशनल लोक अदालत निराकृत हेतु रखे जाने पर प्रकरण के दोनों पक्ष न्यायालय में उपस्थित हुए। न्यायालय में उपस्थित होने पर दोनों पक्षों को न्यायालय द्वारा समझाईश दिए जाने पर दोनों पति-पत्नी आपस में पुन: दाम्पत्य जीवन निर्वाह करने हेतु साथ-साथ रहने के लिए सहमत हुए। दोनों पक्षों राजीखुशी अपने घर सुख-पूर्वक जीवन व्ययतीत करने हेतु चले गये। न्यायालय द्वारा उनको सद्भावना स्वरूप पौधा भेंट किया गया। इस प्रकार नेशनल लोक अदालत के माध्यम से पति-पत्नी का मामलों को विगत 2 वर्ष से न्यायालय में लंबित था, का निराकरण किया गया।

तीन साल के लंबे इंतजार के बाद मिले दादी और पोते :

सामान्य जनमानस में पुलिस कोर्ट कचहरी को लेकर डर तथा अलग ही विचार आता हैं, किंतु लोक अदालत एक ऐसा माध्यम है, जिसमे सामान्यजन अपने मुकदमे आसानी से सुलझा सकता इसी कड़ी में आज अध्यक्ष आलोक कुमार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशानुसार अध्यक्ष चन्द्र कुमार कश्यप तालुक विधिक सेवा समिति खैरागढ़ एवं सचिव देवाशीष ठाकुर के मार्गदर्शन में आयोजित नेशनल लोक अदालत खैरागढ़ व्यवहार न्यायालय में आयोजित किया गया है। आज न्याय सुलभ है की तर्ज पर न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी गुरुप्रसाद देवांगन के न्यायालय में विचाराधीन मामले में दादी भूरी बाई चंदेल और पोते प्रेमलाल चंदेल के बीच पारिवारिक विवाद जो कई वर्षों से लंबित था, जिसमे न्यायालय द्वारा प्रार्थिया के घर जाकर जो चलने में असमर्थ थी, जो पैरालिसिस के तकलीफ से जूझ रहे थी वहां व्यवहार न्यायालय खैरागढ़ के पीएलवी गोलूदास साहू तथा अभियुक्त के वकील सौरभ श्रीवास्तव के द्वारा न्यायालय खैरागढ़ से 25 किलोमीटर दूर उसके ग्राम परसुली घर जाकर राजीनामा दादी और पोते के बीच कराया गया। साथ ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रार्थीया राजीनामा के लिए अपनी स्वीकृति जेएमएफसी गुरु प्रसाद देवांगन को दी और डॉकेट फॉर्म में अपना अंगूठे का निशान लगाई और दोनों के मध्य राजीनामा हुआ, दोनों के मध्य जो विवाद और संघर्ष था वह खत्म हुआ और दोनों एक दूसरे से मिले दोनों के आंख में खुशी के आंसू आ गए।

न्यायालय के प्रयास से पुन: मधुर संबंध दोनों नाती पोते के बीच बना। दोनों ने इस पूरे कार्य के लिए नेशनल लोक अदालत के पूरे टीम का बहुत दिल से धन्यवाद किया। यह पहल आम जन मानस में न्याय के प्रति जागरूक करने एक मिसाल है, जिससे और मामले जो आज तक विचारण में है वह भविष्य में इसी तरह जल्द सुलझेंगे तथा लोगो के न्याय तथा न्यायालय के प्रति आस्था और बढ़ेगी।

Vanshika Pandey

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