जानिये प्राचीन मंदिरों में छिपा खौफनाक रहस्य…
( published by – Seema Upadhyay )
भारत में कई प्राचीन मंदिर हैं जिनका न केवल चमत्कारी बल्कि रहस्यमय महत्व भी है। ऐसे में आज हम आपको उन 5 मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके रहस्य के सामने वैज्ञानिकों का ज्ञान भी परास्त हो गया है।
ज्वालामुखी मंदिर
हिमाचल प्रदेश की कालीधर पहाड़ियों के बीच माता ज्वाला देवी का प्रसिद्ध ज्वालामुखी मंदिर है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार यहां माता सती की जीभ गिरी थी। मान्यताओं के अनुसार ज्वालामुखी मंदिर में धरती से माता सती की जीभ के प्रतीक के रूप में एक ज्वाला निकलती है। यह ज्वाला नौ रंगों की होती है। यहां नौ रंगों की ज्वाला को देवी शक्ति के नौ रूप माने गए हैं। यह ज्योति महाकाली, अन्नपूर्णा, चंडी, हिंगलाज, विंध्यवासिनी, महालक्ष्मी, सरस्वती, अंबिका और अंजी देवी का रूप है। मंदिर में निकलने वाली लपटें कहां से निकलती हैं और उनका रंग कैसे बदलता है। इस संबंध में आज तक कोई जानकारी नहीं मिल पाई है। मुस्लिम शासकों ने कई बार इस लौ को बुझाने की कोशिश की, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली।
मां कामाख्या देवी मंदिर
असम में राजधानी गुवाहाटी के पास देवी कामाख्या देवी का मंदिर स्थित है। यह चमत्कारी मंदिर मां भगवती के 51 शक्तिपीठों में शामिल है। लेकिन प्राचीन मंदिर में देवी भगवती की एक भी मूर्ति नहीं है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान विष्णु ने सती के शरीर को सुदर्शन चक्र से काटा, तो उनके शरीर का एक हिस्सा कामाख्या में गिर गया। जहां-जहां मां सती के अंग गिरे, उस स्थान को शक्तिपीठ कहा जाता है। यहां कोई मूर्ति नहीं है, मां सती के शरीर के अंग की पूजा की जाती है। कामाख्या मंदिर को शक्ति-साधना का केंद्र माना जाता है। यहां सबकी मनोकामना पूरी होती है। इसी वजह से इस मंदिर का नाम कामाख्या रखा गया है। यह मंदिर तीन भागों में बंटा हुआ है। सभी को इसके पहले भाग में जाने की अनुमति नहीं है। अन्य भाग माता के दर्शन हैं। यहां हमेशा पत्थर से पानी निकलता है। कहा जाता है कि महीने में एक बार इस पत्थर से खून की धारा बहती है। ऐसा क्यों और कैसे होता है। यहां तक कि वैज्ञानिक भी आज तक इसका पता नहीं लगा पाए हैं।
मेहंदीपुर बाला जी मंदिर
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर भी राजस्थान में है। यह चमत्कारी मंदिर राज्य के दौसा जिले में स्थित है। मेहंदीपुर बालाजी धाम हनुमान जी के 10 प्रमुख सिद्धपीठों में शामिल है। मान्यता है कि यहां हनुमान जी जाग्रत अवस्था में विराजमान हैं। ऐसा कहा जाता है कि जिन लोगों पर भूत-प्रेत और बुरी आत्माएं हावी हो जाती हैं। जैसे ही वह प्रेतराज सरकार और कोतवाल कप्तान के मंदिर में आता है, पीड़ित के शरीर से बुरी आत्माएं और भूत और राक्षस लोगों के शरीर से बाहर निकल आते हैं। इस मंदिर में रात नहीं रुक सकती और यहां पर चढ़ावा भी घर नहीं ले जाया जा सकता।
करणी माता मंदिर
करणी माता का मंदिर राजस्थान के बीकानेर जिले के देशनोक में स्थित है। यह चूहों की माता के मंदिर के नाम से पूरे देश में प्रसिद्ध है। करणी माता के मंदिर में पीठासीन देवता की पूजा की जाती है। अधिष्ठात्री देवी के मंदिर में चूहों का राज्य है। यहां करीब 2500 हजार चूहे मौजूद हैं। यहां मौजूद चूहे ज्यादातर काले रंग के होते हैं। उनमें से कुछ सफेद और काफी दुर्लभ प्रजातियां हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो व्यक्ति सफेद चूहा देखता है उसकी मनोकामना पूरी होती है। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि चूहे किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं और मंदिर परिसर में भागते रहते हैं। मंदिर में चूहों की संख्या इतनी अधिक है कि लोग पैर उठाकर चल नहीं सकते। इस मंदिर के बाहर चूहे नहीं देखे जाते हैं।
काल भैरव मंदिर
भगवान काल भैरव का प्राचीन मंदिर मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित है। यह मंदिर उज्जैन शहर से 8 किमी की दूरी पर है। परंपराओं के अनुसार, भक्त केवल भगवान कालभैरव को शराब चढ़ाते हैं। सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि जैसे ही काल भैरव की मूर्ति के चेहरे पर शराब का प्याला लगाया जाता है, वह पल भर में गायब हो जाता है। इसकी भी जानकारी आज तक नहीं मिल पाई है।