महाशिवरात्रि का पर्व भगवान शिव की पूजा और अर्चना के लिए मनाया जाता है। यह पर्व हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो भगवान शिव की भक्ति के लिए मनाया जाता है। इस दिन लोग भगवान शिव की पूजा करते हैं और उनकी कृपा और आशीर्वाद की प्रार्थना करते हैं। भगवान शिव की विशेष पूजा और भक्ति से इन्हें मुक्ति और सुख की प्राप्ति मानी जाती है।
इस पर्व को मनाने के अलावा, महाशिवरात्रि को भगवान शिव के अलावा उनकी पत्नी माता पार्वती का भी उत्सव माना जाता है। इस दिन शिव-पार्वती का विवाह हुआ था, इसलिए लोग इस दिन उनके विवाह जयंती को भी मनाते हैं।
इस पर्व के दौरान लोग नगद दान देते हैं, ज्यादातर लोग उष्ट्रासन और जलाभिषेक करते हैं जो उनकी भक्ति को प्रदर्शित करता है। महाशिवरात्रि का पर्व हिंदू धर्म के अनेक प्रथमों के अनुसार मनाया जाता है और इसके अलावा अन्य धर्मों में भी मनाया जाता है।
Mahashivratri 2040 : कथा
महाशिवरात्रि के पीछे कई प्राचीन कथाएं हैं। यह पर्व हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण होता है और इसे भगवान शिव की पूजा और वंदना के लिए मनाया जाता है।
Mahashivratri 2040 :
एक कथा के अनुसार, देवों और असुरों के महायुद्ध के बाद भगवान शिव ने अपने दिव्य तेज को कम करने के लिए महाशिवरात्रि की रात को चुना। इस रात को भगवान शिव ने अपनी तपस्या के द्वारा व्यक्ति को बचाने के लिए उपयोग किया। उन्होंने अपनी तेज को भारी गिरिवरों पर लगाया जो दुखी लोगों को संबोधित करते थे और उन्हें धन और सुख देते थे। इसलिए, इस रात को महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है।
एक और कथा के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव ने अपनी भक्त प्रहलाद को अनंत काल से मुक्ति दी थी। प्रहलाद ने बार-बार भगवान विष्णु के नाम का जाप किया था और इससे उसकी माता हिरण्यकश्यपु बहुत नाराज थी। वह उसे सजा देने के लिए अपने भगवान भोलेनाथ को बुलाती थी
महाशिवरात्रि की उत्पत्ति के बारे में विभिन्न कथाओं और मिथकों में बताया जाता है। यह पर्व प्राचीन हिंदू धर्म के अनुसार मान्यता से जुड़ा हुआ है।
Mahashivratri 2040 :
एक कथा के अनुसार, महाशिवरात्रि का पर्व भगवान शिव के अंगद के पुत्र बहुलाश्वा के उपशान्ति के लिए मनाया जाता है। उन्होंने शिव मंदिर में शिवलिंग के आगे रात्रि जागरण किया था और शिव के नाम का जाप किया था। इस से भगवान शिव को खुशी मिली और उन्होंने उन्हें अपना आशीर्वाद दिया था।
दूसरी कथा के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव ने अपनी तीसरी आंख खोली थी। उन्हें यह बताया गया था कि वह जितनी जल्दी हो सके लोगों को अपने धर्म में सम्मिलित करें, क्योंकि वे अपने अंतिम समय के निकट हैं। इसलिए, लोग इस दिन पर्वत शिवालयों में जाते हैं, पूजा और आराधना करते हैं और भगवान शिव का आशीर्वाद प्रार्थना करते हैं।