Navratri 2024 : शारदीय नवरात्री का प्रमुख महत्व !
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PUBLISHED BY – LISHA DHIGE
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Navratri 2024 : हिन्दूओं का एक पवित्र त्यौहार नवरात्रि है। पौराणिक कथाओं के अनुसार सभी देवी – देवताओं में शक्तिशाली माँ दुर्गा को माना जाता है। नवरात्रि का त्यौहार नौ दिन तक मनाया जाता है इस दिन माँ का आर्शीवाद पाने हेतु और अपने जीवन के दुख को दूर करने के लिए मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते है। ऐसा कहा जाता है कि मां दुर्गा अपने भक्तों को प्यार, निर्भयता, हिम्मत और आत्मविश्वास और कई अन्य दिव्य आर्शीवाद प्रदान करती है।
हिंदू पंचाग के अनुसार, नवरात्र अश्विन की शुक्ल पक्ष के पहले दिन शुरू होता है। इन्हीं नौ दिनों कि अवधि के दौरान माता दुर्गा ने महिषासुर राक्षस का वध किया, देवी दुर्गा का, देवी माँ के रूप में विशेष धार्मिक महत्व है।
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नवरात्रि का त्यौहार सच्ची भक्ति और पवित्रता के साथ पूरे विश्व में भी मनाया जाता है। कई जगहों पर देवी की विशेष पूजा भी कि जाती है और पंडालों में फूलों व लाइटों से सजाया जाता है और माँ दुर्गा की 9 छवियों की मूर्तियों की स्थापना पंडालों में कि जाती है।
माँ दुर्गा को ‘‘देवी’’ या ‘‘शक्ति’’ (ऊर्जा या शक्ति) के रूप में जाना जाता है। नवरात्रि के दौरान हम हमारे भीतर के भगवान की ऊर्जा का आह्वान करते है और इसकी ऊर्जा के साथ आगे बढ़ने के लिए निर्माण, संरक्षण आदि में मदद करता है।
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नौ दिन नौ भोग Navratri 2024
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- नवरात्रि के पहले दिन मां के चरणों में गाय का शुद्ध घी अर्पित करें। इससे शरीर निरोगी रहता है।
- नवरात्रि के दूसरे दिन मां को शक्कर का भोग लगाएं। इससे आयु वद्धि होती है।
- नवरात्रि के तीसरे दिन दूध या दूध से बनी मिठाई खीर का भोग लगाएं। इससे दुःखों से मुक्ति मिलती है।
- नवरात्रि के चौथे दिन मालपुए का भोग लगाएं। इससे बुद्धि का विकास होने के साथ-साथ निर्णय शक्ति बढ़ती है।
- नवरात्रि के पांचवें दिन मां को केले का भोग चढ़ायं। इससे शरीर स्वस्थ रहता है।
- नवरात्रि के छठे दिन मां को शहद का भोग लगाएं। जिससे लोग आप की तरफ आकर्षित होंगे।
- नवरात्रि के सातवें दिन मां को गुड़ का भोग चढ़ाएं। इससे आकस्मिक आने वाले संकटों से रक्षा मिलती है।
- नवरात्रि के आठवें दिन मां को नारियल का भोग लगाए। इससे संतान संबंधी परेशानियों से छुटकारा मिलता है।
- नवरात्रि के नवें दिन मां को तिल का भोग लगाएं। इससे मृत्यु भय से राहत मिलेगी।
दुर्गा के नौ रूप
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- शैलपुत्री – हिमालय के राजा की पुत्री।
- ब्रह्मचारिणी – जो ब्रह्मचर्य का पालन करता है।
- चन्द्रघण्टा – वह जो चन्द्रमा को अपने गले में धारण करती है।
- कुष्माणा – जिसके शून्य में ब्रह्मांड है ।
- स्कंदमाता – कार्तिकेय की माता।
- कात्यायनी देवी – जिन्होंने देवताओं की सहायता के लिए अवतार लिया।
- कालरात्रि – सबसे खराब काली का नाश करने वाली।
- महागौरी – बड़ी तपस्या करने वाली।
- सिद्धिदात्री – मोक्ष दाता।
दुर्गापूजन
ग्ंगाजल, रोली, मौली, पान, सुपारी, धूपबत्ती, घी का दीपक, फल, फूल की माला, विल्वपत्र, चावल, केले का खम्भा, वन्दनवार के वास्ते आम के पत्ते, चन्दन, घट, नारियल, हल्दी की गाँठ, पंचरत्न, लाल वस्त्र, पूर्ण पात्र (चावल से भरा पात्र), गंगा की मृत्तिका, जौ, बताशा, सुगन्धित तेल, सिन्दूर, कपूर, पंच सुगन्ध, नैवेद्य के वास्ते फल इत्यादि (पंचामृत), दूध, दही, मधु, चीनी (पंचगव्य), गाय का गोबर, गौ मूत्र, गौ दूध, गौ दही, गौ घृत, दुर्गा जी के लिए वस्त्र, आभूषण तथा नैवेद्यादि, अष्टमी में ज्योति पूजन के वास्ते उपरोक्त सामग्री। डाभ, घृत, गंगाचल।
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सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके ।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुते ।।
हिन्दी में अनुवाद: सर्व मंगलकारी वस्तुओं में विद्यमान मांगल्य रूप देवी, कल्याणदायिनी, सर्व पुरुषार्थों को साध्य कराने वाली, शरणागतों की रक्षा करने वाली देवी, त्रिनयना, गौरी, नारायणी ! आपको मेरा प्रणाम ।Navratri 2024 श्री दुर्गादेवीके अतुलनीय गुणोंका परिचय इस श्लोकसे होता है । जीवनको परिपूर्ण बनाने हेतु आवश्यक सर्व विषयोंका साक्षात् प्रतीक हैं, आदिशक्ति श्री दुर्गादेवी । श्री दुर्गादेवीको जगत जननी कहा गया है । जगत्जननी अर्थात् सबकी माता ।