(Published By- Komal Sen)
बिलासपुर में दोपहर के भोजन के बाद 22 बच्चों की तबीयत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है. दरअसल, बच्चे जब स्कूल से अपने-अपने घर पहुंचे तो उन्हें उल्टी और दस्त होने लगे. इससे घबराकर परिजन ने पहले तो बच्चों को घरेलू इलाज दिया, लेकिन जब हालत बिगड़ी तो गांव वालों ने मितानिन और सरपंच को इसकी सूचना दी.
मितानिन ने बीमार बच्चों को दवा भी दी, लेकिन बच्चों की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। इसके बाद रविवार को बच्चों के परिजन उन्हें नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए, जहां उनका इलाज किया जा रहा है. घटना कोटा प्रखंड के सोंसाई नवागांव की है. इधर स्वास्थ्य विभाग की टीम भी गांव पहुंच गई है.
22 बच्चों की तबीयत बिगड़ी, डायरिया का इलाज करा रहे थे
रविवार की सुबह गांव के 22 बच्चों की तबीयत बिगड़ गई थी. उसे लगातार उल्टी हो रही थी, दस्त हो रहे थे। इसलिए इस घटना की जानकारी खोंगसारा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ. मिथिलेश भारद्वाज को दी गई. इस बीच परिजन कुछ बच्चों को लेकर अस्पताल पहुंच गए थे।
सूचना मिलते ही कोटा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से भी टीम भेजी गई है। गांव के बच्चों को तत्काल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खोंगसारा लाया गया। यहां गंभीर बच्चों को इलाज के लिए कोटा व रतनपुर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भेजा गया.
बच्चों में भोजन की विषाक्तता
स्वास्थ्य विभाग की टीम ने जब गांव में डायरिया की आशंका की जांच की तो पता चला कि जितने भी स्कूली बच्चे बीमार हुए थे, वे सभी थे. गांव में कोई ज्यादा बीमार नहीं है। पूछताछ में यह भी पता चला कि सभी बच्चे शनिवार को स्कूल गए थे, जहां उन्हें मध्याह्न भोजन दिया गया. लंच और स्कूल की छुट्टी लेकर जब बच्चे घर पहुंचे तो उनकी तबीयत बिगड़ने लगी। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बीमार बच्चों को डायरिया नहीं फूड प्वाइजनिंग होने की संभावना अधिक होती है.
गांव में लगा कैंप, ग्रामीण हुए सतर्क
गांव सोनसाई नवागांव पहुंची स्वास्थ्य विभाग की टीम ने एहतियात के तौर पर बीमार बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराया है. साथ ही ग्रामीणों को सलाह दी गई है कि बच्चों की तबीयत बिगड़ने पर उन्हें तत्काल अस्पताल में भर्ती कराएं. आज सोमवार को स्वास्थ्य विभाग की टीम फिर से गांव का दौरा करेगी.
इस दौरान कैंप लगाकर गांव के लोगों के स्वास्थ्य की जांच की जाएगी, ताकि कोई और बीमार हो तो उसका इलाज किया जा सके. स्वास्थ्य विभाग की टीम ने ग्रामीणों को सतर्क किया है कि पानी को उबाल कर पीएं. इससे पानी में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया मर जाते हैं।