अंतराष्ट्रीय

जाने किसने डाला चीनी राष्ट्रपति के जश्न में खलल…

किसने डाला चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के जश्न में खलल, ब्रिज पर हुआ प्रोटेस्ट तो लोगों को याद आया ‘टैंक मैन’

( PUBLISHED BY – SEEMA UPADHYAY )

चीन में विरोध प्रदर्शन आम नहीं हैं। अगर यहां प्रदर्शन भी होता तो मीडिया की सुर्खियों में नहीं आता। लेकिन चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के सम्मेलन की पूर्व संध्या पर एक शख्स ने कुछ ऐसा किया जो पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बना हुआ है. इस शख्स ने एक पुल पर जिनपिंग विरोधी नारों वाला पोस्टर लहराया। इन पोस्टरों में उन्होंने जिनपिंग को तानाशाह बताया और लोगों से हड़ताल करने की अपील की। वहीं इस घटना से लोगों को 1989 के टियामेन स्क्वायर के टैंक मैन की भी याद आ गई.

Protests are not common in China. Even if there was a demonstration here, it would not have come in the media headlines. But on the eve of the Chinese Communist Party convention, a person did something that has become a topic of discussion all over the world. This man waved a poster with anti-Jinping slogans on a bridge. In these posters, he called Jinping a dictator and appealed to the people to strike. At the same time, people also remembered the 1989 tank man of Tiamen Square due to this incident.

ऐसे दिया घटना को अंजाम ( such a given event )

चीन का हैडियन विश्वविद्यालय जिला। बादलों से भरे आसमान में ढलता दिन। एक व्यस्त ओवरब्रिज पर एक आदमी कार्डबोर्ड बॉक्स और कार के टायर ले जा रहा है। उसने नारंगी रंग का वर्कसूट पहना है और एक कंस्ट्रक्शन मैन होने का नाटक करता है। वह पुल पर पहुंचता है और वहां एक सफेद बैनर फहराता है। फिर वह अपने साथ लाए टायरों में आग लगा देता है। बैनर पर लाल अक्षरों में लिखा नारा वहां से गुजरने वाले लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचता है। इस बैनर पर लिखा है, ‘स्कूलों और कार्यस्थलों पर हड़ताल। तानाशाह और देशद्रोही शी जिनपिंग को हटाओ। हमें भोजन चाहिए। हम आजादी चाहते हैं। हम वोट देना चाहते हैं।’ शी जिनपिंग के नेतृत्व में होना यह विरोध अपने आप में एक बड़ी बात है। खासकर ऐसे मौके पर जब चीन में जिनपिंग के तीसरे कार्यकाल को लेकर जश्न का माहौल है।

Haidian University District of China. A sunny day in a cloudy sky. A man is carrying a cardboard box and car tires on a busy overbridge. He is wearing an orange worksuit and pretends to be a construction man. He reaches the bridge and hoists a white banner there. Then he sets fire to the tires he brought with him. The slogan written in red letters on the banner attracts the attention of the people passing by. The banner reads, ‘Strike on schools and workplaces. Remove the dictator and traitor Xi Jinping. We need food. We want freedom. We want to vote. To be led by Xi Jinping, this protest is a big deal in itself. Especially on such an occasion when there is an atmosphere of celebration in China regarding Jinping’s third term.

लोग कह रहे चीन में गुस्सा ( People are getting angry in China )

विरोध शुरू होते ही इसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं। वहीं आनन-फानन में पुलिस ने युवक को जीप में भर दिया. इस प्रदर्शन को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का अपमान भी माना जा रहा है. वहीं इस विरोध प्रदर्शन ने चीन की तथाकथित कड़ी सुरक्षा की पोल भी खोल दी है. इस विरोध को आम लोगों के गुस्से के तौर पर देखा जा रहा है. दरअसल यहां के आम लोगों पर तमाम तरह की पाबंदियां लगाई गई हैं, वहीं हाईप्रोफाइल कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. बताया जा रहा है कि चीनी समाज में हर स्तर पर ऐसा ही गुस्सा और तनाव है। हाल के महीनों में शंघाई और बीजिंग में लगातार कोरोना टेस्ट किए जा रहे हैं.

As soon as the protest started, its pictures went viral on social media. At the same time, the police filled the young man in the jeep. This demonstration is also being considered as an insult to Chinese President Xi Jinping. At the same time, this protest has also exposed the so-called tight security of China. This protest is being seen as the anger of the common people. In fact, all kinds of restrictions have been imposed on the common people here, while high profile programs are being organized. It is being told that there is such anger and tension at every level in Chinese society. In recent months, corona tests are being done continuously in Shanghai and Beijing.

क्या थी थियामेन चौक पर हुई घटना ( what was the incident at thiamen square )

लोगों ने चीन में इस पुल पर विरोध की तुलना 1989 में थियामेन स्क्वायर की घटना के दौरान हुए विरोध प्रदर्शन से की है। तभी एक व्यक्ति थायमेन स्क्वायर पर नरसंहार का विरोध करने वाले टैंकों के सामने आ गया। हालांकि, कुछ का कहना है कि दोनों घटनाओं की तुलना करना जल्दबाजी होगी। यह देखा जाना बाकी है कि क्या यह उस घटना के समान ऐतिहासिक महत्व प्राप्त करता है।

People have compared the protests on this bridge in China to the protests in 1989 during the Tiamen Square incident. Just then a man appeared in front of the tanks protesting the massacre on Thymen Square. However, some say that it is too early to compare the two events. It remains to be seen whether it attains the same historical significance as that event.

Vanshika Pandey

Show More

Related Articles

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker