वर्ल्ड बैंक ने आर्थिक मंदी को लेकर दी बड़ी चेतावनी .
आर्थिक मंदी को लेकर विश्व बैंक ने दी बड़ी चेतावनी
Published By- Komal Sen
साल 2023 में दुनिया को आर्थिक मंदी का सामना करना पड़ सकता है। इसको लेकर विश्व बैंक ने चेतावनी जारी की है। इसके पीछे का कारण दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों की सीमित आर्थिक नीतियां बताया जा रहा है। विश्व बैंक ने अपनी नई रिपोर्ट में उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ आपूर्ति की कमी को दूर करने को कहा है, ताकि महंगाई पर काबू पाया जा सके. रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक मंदी के कई संकेतक इस बारे में पहले ही संकेत दे रहे हैं। इसने यह भी कहा कि 1970 की मंदी से उबरने के बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था अब सबसे कठिन दौर में है।
लाभ कम हानि अधिक
मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए केंद्रीय बैंकों द्वारा वैश्विक ब्याज दर 4 प्रतिशत तक हो सकती है, जो 2021 की तुलना में दोगुनी होगी। वहीं, खाद्य और तेल के मामले में यह और अधिक अस्थिर हो सकती है और 5 प्रतिशत तक जा सकती है। . अमेरिका से लेकर यूरोप और भारत तक कर्ज की दरें तेजी से बढ़ रही हैं। इसका उद्देश्य सस्ते पैसे की आपूर्ति को रोकना और मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना है, लेकिन ऐसी आर्थिक नीतियों के नुकसान भी हैं। यह निवेश, नौकरियों और विकास को प्रभावित करता है। भारत समेत कई देश इस समय इस स्थिति का सामना कर रहे हैं।
बाजार पर बुरा असर
विश्व बैंक समूह के अध्यक्ष डेविड मलपास ने रिपोर्ट के बाद गुरुवार को एक बयान जारी किया। इसमें उन्होंने कहा कि ग्लोबल ग्रोथ तेजी से धीमी हो रही है। आगे भी इसके कम रहने की उम्मीद है और ऐसे में कई देश मंदी की चपेट में आ जाएंगे। डेविड ने कहा कि मैं बहुत चिंतित हूं कि इसके लंबे समय तक चलने की संभावना है। ऐसे में बाजार और विकासशील अर्थव्यवस्था पर इसका बुरा असर पड़ेगा। गौरतलब है कि दुनिया पहले से ही रिकॉर्ड महंगाई से जूझ रही है। इसके पीछे कई कारण हैं। इनमें से एक यूक्रेन युद्ध है, जिसने खाद्य आपूर्ति को कम कर दिया है। वहीं, चीन में कोरोना लॉकडाउन के चलते मांग में कमी आई है। वहीं लगातार खराब मौसम के चलते कृषि पर असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है.
उत्पादन बढ़ाने पर ध्यान देना होगा
अगस्त में, भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो दर में तीसरी वृद्धि की घोषणा की। 50 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी के साथ अब यह 5.40 फीसदी है। आरबीआई ने 2022-23 के लिए महंगाई दर 6.7 फीसदी रहने का अनुमान जताया है। वहीं, जीडीपी ग्रोथ रेट 7.2 फीसदी रहने का अनुमान है। खाद्य कीमतों में वृद्धि के कारण भारत की खुदरा मुद्रास्फीति अगस्त में बढ़कर 7 प्रतिशत हो गई, जो जुलाई में 6.71 प्रतिशत थी। वहीं, उपभोक्ता महंगाई दर लगातार आठवें महीने केंद्रीय बैंक द्वारा निर्धारित 4 फीसदी की सीमा से ऊपर बनी हुई है। विश्व बैंक की एक हालिया रिपोर्ट बताती है कि मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए केवल ब्याज दरें बढ़ाना पर्याप्त नहीं होगा। इसके लिए देशों को माल की उपलब्धता भी बढ़ानी होगी। विश्व बैंक के अध्यक्ष ने कहा कि नीति निर्माताओं को खपत कम करने पर ध्यान देने के बजाय उत्पादन बढ़ाने पर ध्यान देना होगा।