मध्यप्रदेश के मालवा क्षेत्र में देवास शहर में देवी का प्रसिद्ध धाम स्थापित है
मध्यप्रदेश के मालवा क्षेत्र में देवास शहर में देवी का प्रसिद्ध धाम स्थापित है
जो की माता के 52 शक्तिपीठों में शामिल है
जो की माता के 52 शक्तिपीठों में शामिल है
देवास का यह शक्तिपीठ इंदौर से करीब 34 किमी दूर है। ऊंची पहाड़ी पर स्थित माता का यह भवन देशभर में प्रसिद्ध है।
देवास का यह शक्तिपीठ इंदौर से करीब 34 किमी दूर है। ऊंची पहाड़ी पर स्थित माता का यह भवन देशभर में प्रसिद्ध है।
इसकी अनोखी प्रसिद्धि का कारण यहां विराजमान दो बहनें हैं
इसकी अनोखी प्रसिद्धि का कारण यहां विराजमान दो बहनें हैं
माता के इस अनोखे दरबार में दो देवीयां विराजमान हैं
माता के इस अनोखे दरबार में दो देवीयां विराजमान हैं
इस मंदिर को टेकरी के नाम से जाना जाता है और कहा जाता है की यहां देवी मां का रक्त गिरा था।
इस मंदिर को टेकरी के नाम से जाना जाता है और कहा जाता है की यहां देवी मां का रक्त गिरा था।
यहां माँ तुलजा भवानी और माँ चामुंडा देवी विराजमान है
यहां माँ तुलजा भवानी और माँ चामुंडा देवी विराजमान है
अनादि काल से स्थापित इस मंदिर में दूर-दुर से भक्त माता के दर्शन करने आते हैं
अनादि काल से स्थापित इस मंदिर में दूर-दुर से भक्त माता के दर्शन करने आते हैं
यहां देवी मां दो स्वरुपों में विराजमान है कहा जाता है की ये दोनों ही देवियां जाग्रत अवस्था में हैं।
यहां देवी मां दो स्वरुपों में विराजमान है कहा जाता है की ये दोनों ही देवियां जाग्रत अवस्था में हैं।
माता के दोनों ही स्वरुपों को छोटी मां व बड़ी मां के नाम से जाना जाता है।
माता के दोनों ही स्वरुपों को छोटी मां व बड़ी मां के नाम से जाना जाता है।
तुलजा देवी को बड़ी माता और चामुंडा देवी को छोटी माता कहा जाता है
तुलजा देवी को बड़ी माता और चामुंडा देवी को छोटी माता कहा जाता है
यहां पर लोगों का मानना है की भैरो बाबा के दर्शन अनिवार्य है और उसके बिना प्राथना अधूरी है, इसीलिए लोग बड़ी माँ और छोटी माँ के साथ भैरो बाबा के भी दर्शन करते है।
यहां पर लोगों का मानना है की भैरो बाबा के दर्शन अनिवार्य है और उसके बिना प्राथना अधूरी है, इसीलिए लोग बड़ी माँ और छोटी माँ के साथ भैरो बाबा के भी दर्शन करते है।