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Navratri Special 2023 : कुष्मांडा माता शक्ति की पावन कथा !

PUBLISHED BY – LISHA DHIGE

नवरात्रि के चौथे दिन देवी की कुष्मांडा के रूप में पूजा की जाती है। इस देवी का नाम कूष्मांडा इसलिए रखा गया क्योंकि उनकी धीमी, मौन हंसी ने अंडे यानी ब्रह्मांड का निर्माण किया। जब कोई जीव नहीं था, चारों ओर केवल अंधकार था, तब इस देवी ने अपने प्रेम से सृष्टि की रचना की। इसलिए उन्हें ब्रह्मांड का आदिस्वरूप या आदिशक्ति कहा गया।

इस देवी की आठ भुजाएँ हैं इसलिए इन्हें अष्टभुजा कहा जाता है। अपने सात हाथों में वह कमंडल, धनुष, बाण, कमल का फूल, अमृत से भरा कलश, चक्र और गदा धारण करती हैं। Navratri Special 2023 आठवें हाथ में गायन माला है, जो सभी सफलता और धन देने वाली है।

कुष्मांडा का अर्थ क्या है

उनकी कोमल, कोमल हँसी के कारण उन्हें कुष्मांडा देवी के रूप में पूजा जाता है, जिससे अंडे यानी ब्रह्मांड का निर्माण हुआ। संस्कृत में कुष्मांडा को कुम्हड़ कहते हैं। बलियों में कुम्हड़े की बलि इन्हें सर्वाधिक प्रिय है। इसलिए मां को कुष्मांडा भी कहा जाता है।

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माता कुष्मांडा कौन है

नवरात्रि के चौथे दिन देवी की कुष्मांडा के रूप में पूजा की जाती है। इस देवी का नाम कूष्मांडा इसलिए रखा गया क्योंकि उनकी धीमी, मौन हंसी ने अंडे यानी ब्रह्मांड का निर्माण किया। जब कोई जीव नहीं था, चारों ओर केवल अंधकार था, तब इस देवी ने अपने प्रेम से सृष्टि की रचना की।

मां कूष्मांडा पूजा विधि

सबसे पहले स्नान आदि के बाद प्रस्थान करें। फिर मां कुष्मांडा का ध्यान करके उन्हें धूप, सुगंध, अक्षत, लाल फूल, सफेद लौकी, फल, मेवा और सौभाग्य की वस्तुएं अर्पित करें। इसके बाद मां कुष्मांडा का हलवा और दही का भोग लगाएं। फिर आप इसे प्रसाद के रूप में ले सकते हैं।

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कुष्मांडा माता को क्या चढ़ाया जाता है?

मां कुष्मांडा को मालपुए का भोग लगाया जाता है।Navratri Special 2023 मान्यता है कि इस भोग को लगाने से मां कुष्मांडा प्रसन्न होती हैं और भक्तों पर अपनी कृपा बरसाती हैं।

Navratri Special 2023
Navratri Special 2023

माता का प्रिय भोग क्या है?

नारियल माँ को सबसे प्रिय होता है। Navratri Special 2023 मां को यह भोग लगाने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

मां कुष्मांडा की कहानी क्या है?

इस देवी को कुष्मांडा के नाम से पुकारा जाता है क्योंकि उनकी कोमल, कोमल हँसी ने अंडे यानी ब्रह्मांड की रचना की। जब कोई जीव नहीं था, चारों ओर केवल अंधकार था,Navratri Special 2023 तब इस देवी ने अपने प्रेम से सृष्टि की रचना की। इसलिए उन्हें ब्रह्मांड का आदिस्वरूप या आदिशक्ति कहा गया।

Vanshika Pandey

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